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देव दिवाली आज : जानिए क्यों मनाते हैं यह पर्व

 

न्यूज नजर : आज देव दीपावली है। इसे त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। इस दिन एक बार फिर से पूरी काशी नगरी दीयों की जगमगाहट से रोशन होगी। इस बार वाराणसी में यह उत्सव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सान्निध्य में मनेगा।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली का जश्न बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। खासकर भगवान शंकर की नगरी काशी में इसे अलग अंदाज में मनाया जाता है। वहां गंगा घाटों पर 15 लाख दीये जलाए जाएंगे।

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देव दीपावली को देवों की दिवाली भी कहते हैं। माना जाता है कि जिस प्रकार इंसान दिवाली पर दीये जलाता है उसी प्रकार कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता भी दीये जलाकर दीपावली मनाते हैं। इसीलिए इसका नाम देव दीपावली रखा गया है।

देव दीपावली का महत्व

पुरानी मान्यताओं के अनुसार देव दीपावली के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के असुर का वध किया था। दरअसल त्रिपुरासुर ने ब्रह्मा जी से वरदान पाकर तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य कर लिया था। सिर्फ यही नहीं साधारण लोगों के साथ वो देवताओं को भी परेशान करने लगा था।

इसी से तंग आकर सभी देवता भगवान शिव के पास इसका समाधान मांगने गए थे। शिव ने देवताओं की विनती पर त्रिपुरासुर से युद्ध किया और उसका अंत कर दिया। देव दीपावली की पूजा-अर्चना को विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन भी लोग अपने घरों और पवित्र नदी के घाटों पर दीया जलाते हैं।

एक अन्य मान्यता यह भी है कि भगवान विष्णु के शयन से जागने से 15 दिन पहले ही माँ लक्ष्मी दिवाली पर जाग जाती हैं। भगवान विष्णु देव उठनी एकादशी पर जागते हैं। इस खुशी में सभी देवता कार्तिक पूर्णिमा पर दीये जलाकर खुशियां मनाते हैं। इस बार 30 नवम्बर को यह उत्सव है। साथ ही आज अबूझ सावा भी है।

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