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चैत्रीय नवरात्र 18 मार्च से, यह रहेगा घट स्थापना का शुभ मुहूर्त्र

 

नव संवत्सर
विक्रम संवत — 2075
शालिवाहन शक संवत — 1940
हिजरी सन् 1439 व 1440
अंग्रेजी सन 2018- 2019
भारतीय गणराज्य संवत् 69 व 70

जो देवी सभी प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित है उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है ।
हमारी धार्मिक एव पौराणिक मान्यता के अनुसार आद्य शक्ति ने ब्रह्मा, विष्णु ओर शिव को उत्पन्न किया तथा उन्हें क्रमश सरस्वती, लक्ष्मी और काली को प्रदान कर सृष्टि निर्माण, पालन, संहार करने की आज्ञा दी । इसी आज्ञा को मानते हुए जगत पिता ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि का निर्माण किया। सृष्टि की यह प्रारंभ तिथि होने के कारण इसे सतयुग के प्रारंभ की तिथि मानी गई है ।

बसन्त ऋतु चूंकि मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाली होती है ,अतः हमारे

भंवरलाल
ज्योतिषाचार्य एवं संस्थापक,
जोगणिया धाम पुष्कर

ऋषि मुनियो ने हमारे शास्त्रों ने कर्म धर्म उपदेश दिये है कि इस समय मनुष्यो को नियम संयम से रहना चाहिए तथा खान पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए और इसी निर्देशो के क्रम मे चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नो दिन महाशक्ति की विशेष पूजा पाठ के नियम हमारे ऋषियो ने बताये है, इन्ही नौ दिनो के अन्दर व्यक्ति संयमित हो अपने शरीर की उर्जा को संतुलित करने, उसे बढाने के लिए प्रतिदिन महाशक्ति के भिन्न-भिन्न स्वरूपो का ध्यान कर कुंडली जागरण करता है ।

 

घटस्थापना

घट स्थापना के लिए पवित्र मिट्टी से वेदी बनाएं।वेदी में गेहूं व जो बोये तथा उस पर नवीन मिट्टी का कलश या ताम्र, रजत, स्वर्ण कलश जलयुकत स्थापित करे, उस कलश मे पंच द्रव्य, पंच रत्न, आम्र पत्र डाले।तत्पश्चात घट पर देवी की मूर्ति स्थापित करे तथा नाना नाना विधि से मां का पूजन करे ।
चैत्रीय नवरात्रि का इतना बड़ा महत्व है कि इसी नवरात्रा मे श्री राम ने महाशक्ति की पूजा-अर्चना कर अपने समस्त दुख व संकट पर विजय पाई ।भगवान् शिव ने तारकासुर को मारने के लिए तथा श्री हरि ने सुमेरू पर्वत पर अनुष्ठान किया । विश्वामित्र, श्रृंगी, वशिष्ठ, कश्यप आदि ऋषियो ने चैत्रीय नवरात्रा मे महाशक्ति की पूजा-अर्चना कर सिद्धियो को प्राप्त किया। ।

घट स्थापना मुहूर्त

18 मार्च 2018 रविवार को नये संवत, हिन्दु नव वर्ष व चैत्रीय नवरात्रा का प्रारंभ होगा ।चैत्र शुक्ल प्रतिपदा शुरू होगी। प्रतिपदा के शुरू होते ही नवरात्रि, नव संवत्सर व हिन्दुओ का नववर्ष प्रारंभ होगा ।

देवी भागवत पुराण मे बताया गया है कि प्रातःकाल मे ही देवी का आह्वान करे तथा प्रातःकाल मे ही घट स्थापना करे तथा पूजन करे तथा प्रातःकाल मे ही विसर्जन करे ।
18 मार्च 2018 को चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा रविवार के दिन प्रात काल द्विस्वभाव लग्न में घट स्थापना करनी चाहिए। प्रात 6 बजकर 37 मिनट से 7 बजकर 56 मिनट तक मीन लग्न नवरात्रा की स्थापना करनी चाहिए।
अभिजित काल में काल बल की प्रधानता होती है अत प्रतिपदा को अभिजित काल 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक चैत्रीय नवरात्रा मे घटस्थापना की जा सकती है।

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