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सूर्योत्सव के रूप में 15 जनवरी को पुण्य काल

मकर संक्रांति पर्व :

न्यूज नजर : सूर्य का मकर राशि में प्रवेश दिनांक 14 जनवरी 2020 की रात 2 बजकर 2 मिनट पर अर्थात 15 जनवरी को सुबह 2 बजकर 9 मिनट पर होगा। रात्रि में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश से दिनांक 15 जनवरी 2020 को सूर्योदय से सूर्यास्त तक पुण्य काल रहेगा।

भंवरलाल
ज्योतिषाचार्य एवं संस्थापक,
जोगणिया धाम पुष्कर

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संक्रांति का वाहन गधा है तथा रजक (धोबी) के घर में प्रवेश करेगी। मंगलवार को यह संक्रांति होने से अग्नि भय वस्तुओं के भाव में तेजी प्रजा में विग्रह तथा कहीं अशांति के योग बनते हैं।

सूर्योत्सव के रूप में मनाए जाने वाला यह पर्व अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का द्योतक है। सूर्य के उतरायन होने से रात्रि काल घटने लगता है, दिन काल बढ़ने लगता है जिससे पृथ्वी पर प्रकाश की वृद्धि होती है और व्यक्ति की कार्य दक्षता में वृद्धि भी होती हैं।

मकर राशि में सूर्य का प्रवेश व सूर्य की गति का उतरायन होना वैदिक धर्म शास्त्र के अनुसार शुभ माना जाता है क्योंकि दैवी दैवताओं का प्रवेश उत्तरी गोलार्द्ध में माना जाता है। श्रीकृष्ण ने गीता में ऐसा कहा है कि जो मनुष्य उतरायन काल में अपनी देह परित्याग करता है तो उसे पुनः जन्म नहीं लेना पडता है। यही कारण था कि भीष्म पितामह ने अपने प्राणों का परित्याग सूर्य के उतरायन होने के बाद किया।

ग्रहों एवं नक्षत्रों का हमारे जीवन पर विशेष प्रभाव पडता है। इनकी गति स्थिति और उदय अस्त ओर वक्री मार्गी होने का अलग अलग प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। पृथ्वी अपने अक्ष व कक्ष दोनों पर नियमित भ्रमण करती है। अक्ष पर भ्रमण करने के दिन और रात होते हैं तथा कक्ष पर भ्रमण करने के कारण ऋतु परिवर्तन होता है।

सब यह भी जानते हैं कि पृथ्वी वर्ष में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी कर लेती है जो वार्षिक गति कहलाती है। इस वार्षिक गति के आधार पर मास की गणना की जाती है। अयन गणना अर्थात जब सूर्य की गति दक्षिण से उतर की ओर होती है इसे उतरायन सूर्य कहा जाता है तथा उतर से दक्षिण होने पर दक्षिणायन सूर्य कहा जाता है।

सूर्य जब अपनी कक्षा परिवर्तित करता है तो उसे संक्रमण काल कहा जाता है। इसी क्रम में 14 या 15 जनवरी को सूर्य दक्षिणायन से उतरायन होकर मकर राशि में प्रवेश करता है इस कारण ये दिन मकरसंक्रांति के रूप में माना जाता है।

 

मकर संक्रांति पर नदियों पर स्नान, दान पुण्य, गाय को चारा खिलाना आदि का अपना विशेष पौराणिक महत्व है। इस दिन तिल दान, हवन, यज्ञ, तर्पण, कर्म आदि का विशेष महत्व है। हिन्दु परम्परा में मकर संक्रांति का अपना अलग महत्व है। पौराणिक व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा यमुना तथा सरस्वती नदियों में इस दिन समस्त दैवी दैवता अपना स्वरूप बदल कर स्नान करने के लिए आते हैं।

अपनी अपनी मान्यतानुसार इस दिन कंबल, घी, तेल और तिल के लड्डू, घेवर, मोतीचूर के लड्डू तथा ऊनी वस्त्र कपास व नमक दान का विशेष महत्व माना जाता है। नई फ़सल चावल, दाल व तिल को घर में लाया जाता है और भगवान के अर्पण किया जाता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश से मल मास समाप्त हो जाता है।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य व चन्द्रमा व अन्य ग्रहों के आधार पर वर्ष भर की भविष्यवाणी की जाती है। तमिल पंचांग का नया वर्ष भी इसी दिन से शुरू होता है। अलग अलग राज्यों व समाज की मान्यता के अनुसार इस पर्व को विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।

राजस्थानी मान्यता के अनुसार इस दिन स्त्रियां घेवर, मोतीचूर के लड्डू, तिल के लड्डू अपनी सांस को भेंट करती तथा किसी भी चौदह वस्तुओं का दान करती है। दक्षिण भारत में इसे पोंगल नाम से जाना जाता है तो असम में इसे बिहू त्योहार के रूप में पूजा जाता हैं।

उतर प्रदेश में इसे खिचड़ी पर्व के रूप में मानकर खिचड़ी व तिल दान करने की प्रथा है। बंगाल में इस दिन तिल दान का विशेष महत्व है तो महाराष्ट्र में तेल कपास व नमक दान किया जाता है। पंजाब में इसे लोहडी पर्व के रूप में माना जाता है। अपने अपने धर्म की मान्यता अनुसार इस पर्व को विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।

सुहागिन स्त्री सुहाग की समस्त सामग्री के 13 जोड़ी लेकर कलपती है। कहीं कहीं देवताओं हेतु एक पृथ्क रखकर 14 जोड़ी मानती है। मकर संक्रांति के दिन बंगाल में विश्व प्रसिद्ध गंगा सागर का मेला लगता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा जी को धरती पर भागीरथ लेकर आए थे। भागीरथ के पीछे पीछे चलती गंगा नदी कपिल मुनि के आश्रम पहुंची और सागर में मिल गई। गंगा के पावन जल से राजा सागर के साठ हजार पुत्रों का उद्धार हुआ और उन्हें श्राप से मुक्ति मिली।

संत जन कहते हैं कि हे मानव, सूर्य का मकर राशि में प्रवेश अर्थात मकर संक्रांति ऋतु परिवर्तन की सूचक है जो बंसत ऋतु आगमन की सूचना देती है। सूर्य का यहां से उत्तरायन की ओर लगातार बढने से अब उत्तर की ओर सूर्य का प्रकाश दिनों दिन बढता जाएगा और सर्दी की ॠतु शनैः शनैः विदा होती जाएगी।

इसलिए हे मानव, सूर्य के मकर राशि में प्रवेश से सूर्य की ऊर्जा प्रबल रूप में जीव व जगत को राहत देगी और कई बीमारियों को दूर करने का काम करेंगी। इसलिए हे मानव तू थोड़ा और धैर्य रख सर्दी रूपी कहर का बल अब टूटने वाला है।

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