Breaking News
Home / breaking / आज शरद पूर्णिमा पर करें इस मंत्र का जाप, फिर देखिए माता लक्ष्मी का चमत्कार

आज शरद पूर्णिमा पर करें इस मंत्र का जाप, फिर देखिए माता लक्ष्मी का चमत्कार

शरद पूर्णिमा की रात अनोखी है। तन, मन और धन को निहाल करने वाली रात है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण शरद पूर्णिमा की रात महारास रचाते थे। जबकि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर धरती पर आती हैं और देखती हैं कौन सा भक्त उनकी भक्ति में लीन है। इसीलिए माना जाता है कि जो भक्त शरद पूर्णिमा तिथि को रात में जागकर मां लक्ष्मी की भव्य उपासना करता है उस पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है।

ये करें उपाय

शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाएं। उन्हें गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें। फिर उन्हें सफेद मिठाई और सुगंध भी अर्पित करें। इसके बाद निम्न मंत्र का कम से कम 11 माला जाप करें-

ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मये नमः”

शरद पूर्णिमा पर यह भी करें

पूर्णिमा के दिन सुबह इष्ट देव का पूजन करना चाहिए।
इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए। खीर व धन का दान करें। रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करें।

प्राकृतिक महत्व

शरद पूर्णिमा का अतुल्य प्राकृतिक महत्व है। इसी तिथि से शरद ऋतु का आरम्भ होता है। इस दिन चन्द्रमा संपूर्ण और सोलह कलाओं से युक्त होता है। इस रात चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और सेहत तीनों देती है। प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्री कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था।

शारीरिक लाभ लें

इन दिनों में ग्रह नक्षत्र के हिसाब से वातावरण में एक अध्यात्मिक तरंगे मौजूद होती हैं। इनसे सात्विक व सकारात्मक विचार व मस्तिष्क प्रफुलित होता है।शरद पूर्णिमा की रात्रि चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होती है और उसकी उज्जवल किरणें पेय एवं खाद्य पदार्थों में पड़ती हैं तो उसे खाने वाला व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है। उसका शरीर पुष्ट होता है। चंद्रमा ही सब वनस्पतों को रस देकर पुष्ट करता है।

 कहा गया है –

भगवान ने भी कहा है,’पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।’
अर्थात

‘रसस्वरूप अर्थात् अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात् वनस्पतियों को पुष्ट करता हूं।’ (गीताः15.13)

शरद ऋतु के प्रारम्भ में दिन थोड़े गर्म और रातें शीतल हो जाया करती हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह पित्त दोष के प्रकोप का काल माना जाता है और मधुर तिक्त कषाय रस पित्त दोष का शमन करते हैं।

यूं बनाएं अमृतमय खीर

शरद पूर्णिमा को देसी गाय के दूध में दशमूल क्वाथ,सौंठ,काली मिर्च,वासा,अर्जुन की छाल चूर्ण,तालिश पत्र चूर्ण, वंशलोचन, बड़ी इलायची,पिप्पली इन सबको आवश्यक मात्रा में मिश्री मिलाकर पकायें और खीर बना लेंI खीर में ऊपर से शहद और तुलसी पत्र मिला दें ,अब इस खीर को ताम्बे के साफ़ बर्तन में रात भर पूर्णिमा की चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे ऊपर से जालीनुमा ढक्कन से ढक कर छोड़ दें और अपने घर की छत पर बैठ कर चंद्रमा को अर्घ्य देकर, अब इस खीर को रात्रि जागरण कर रहे दमे के रोगी को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे प्रातः) सेवन कराएं।

Check Also

17 मार्च रविवार को आपके भाग्य में क्या होगा बदलाव, पढ़ें आज का राशिफल

      फाल्गुन मास, शुक्ल पक्ष, अष्टमी तिथि, वार रविवार, सम्वत 2080, बसन्त ऋतु, …