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आज है संकष्टी चतुर्थी, यूं पा सकते हैं भगवान गणेश की विशेष कृपा

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है। भक्तों पर आने वाले सभी संकट का निवारण गणपति सहजता से करते हैं।

आज बुधवार दिनांक 6 दिसम्बर को पौष कृष्ण चतुर्थी के उपलक्ष्य में बुधवारीय संकष्टी चतुर्थी है। अगर आज भगवान गणेश की विशेष पूजा करेंगे तो सभी संकट दूर होकर जीवन में आनन्द की प्राप्ति होगी।

हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक चन्द्र मास में दो चतुर्थी होती हैं। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।

हालाँकि संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने में होता है लेकिन सबसे मुख्य संकष्टी चतुर्थी पुर्णिमांत पञ्चाङ्ग के अनुसार माघ के महीने में पड़ती है और अमांत पञ्चाङ्ग के अनुसार पौष के महीने में पड़ती है।

संकष्टी चतुर्थी अगर मंगलवार के दिन पड़ती है तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं और बुधवार होता है तो बुधवारीय संकष्टी चतुर्थी।

यह है मान्यता

पौराणिक मतानुसार कालांतर में संकटों से घिरे देवगण साहयता हेतु महेश्वर के पास गए। इस पर महेश्वर ने कार्तिकेय व गणेश की श्रेष्ठता के आधार पर किसी एक को देवताओं के संकट हरने को कहा तथा साथ ही अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने हेतु सर्वप्रथम पृथ्वी की परिक्रमा करने का आधार रखा। कार्तिकेय मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा हेतु निकल गए। परंतु गणेश जी की सवारी मूषक थी जिससे वो जीत नहीं सकते थे। इसी कारण गणेश जी ने अपने माता-पिता अर्थात शिव-पार्वती की सप्त परिक्रमा करके यह विजय प्राप्त की व देवगणों के संकट दूर किए। महेश्वर ने गणेश को आशीर्वाद दिया की चतुर्थी पर जो व्यक्ति गणेश पूजन कर चंद्रमा को अर्घ्य देगा, उसके तीनों ताप अर्थात दैहिक, दैविक व भौतिक ताप दूर होंगे। संकष्टी चतुर्थी के विशेष व्रत, पूजन व उपाय से घर-परिवार में आ रही विपदाएं दूर होती है। रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं तथा भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

पूजन मुहूर्त

 रात 20:15 से रात 21:15 तक। (अमृत काल मुहूर्त)

विशेष पूजन विधि

 गणपती का विधिवत पूजन करें। शुद्ध घी का दीप करें, चंदन धूप करें, गोलोचन चढ़ाएं, सफेद फूल चढ़ाएं, दूर्वा चढ़ाएं, चार लड्डू का भोग लगाएं, रुद्राक्ष की माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें। पूजन उपरांत चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें। पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।

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