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पुराने संघी ने भाजपा-आरएसएस से नाता तोड़ कांग्रेस ज्वॉइन की

सिरोही। केंद्र और राज्यों में भाजपा के सत्तासीन होने के बाद भाजपा के साथ साथ संघ में भी पुराने और विचारधारा को अपनी वेशभूषा की तरह समझने वाले स्वयंसेवकों का दम घोटने वाला माहौल बन रहा है। इसकी परिणीति रविवार को सिरोही जिले में देखने को मिली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अवधारणा है कि एक बार संघ प्रवेश के बाद वो व्यक्ति मृत्युपर्यंत स्वयंसेवक होता है। जिले के शिक्षा विभाग में राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के प्रतिरूप के रूप में माने जाने वाले पूर्व अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी एवं प्राचार्य दिनेश्वर पुरोहित ने रविवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया है।

जिले में भाजपा और आरएसएस से जुड़े समर्पित लोगों के लिए ये सूचना किसी झटके से कम नहीं है। पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने उन्हें माल्यार्पण करके कांग्रेस में शामिल करवाया। पार्टी को स्थापित करने वाले वरिष्ठों और नींव की ईंटों की दुर्गति भाजपा का नेतृत्व बदलने के बाद दिल्ली से सिरोही तक यथावत है।

पार्टी नेतृत्व और संघ की इसी अवहेलना का शिकार सिरोही जिले में पूर्व अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी दिनेश्वर पुरोहित को बनाया गया। भाजपा के सत्ता में आने के बाद एक सभा के दौरान सिरोही भाजपा के एक नेता को कुछ कमियों की ओर इंगित करवाना दिनेश्वर पुरोहित के लिए सजा बन गया।

इसके फलस्वरूप दिनेश्वर पुरोहित का सेवानिवृत्ति से पूर्व कई बार स्थानांतरण करवा कर दिया गया। इतना प्रताड़ित किया गया कि आखिर कुंठित होकर उन्हें स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति लेनी पड़ी। पुरोहित की प्रताड़ना यहीं नहीं बन्द की गई। कथित रूप से वो सबसे ज्यादा कुंठित सेवानिवृत्ति के बाद आरएसएस और भाजपा की हर गतिविधि से उनको अलग रखने का प्रयास किया।

हद तो तब हुई कि जब 50 साल से संघ के लिए समर्पित व्यक्ति के सामाजिक मामलों में भी ये जताते हुए अवहेलना की गई कि नए लोग संघ से जुड़े हुए हैं उनकी ज्यादा सुनी जाएगी बनिस्पत क्षेत्र में संघ और उससे जुड़े संगठनों को सींचने वालों पुराने लोगो के।

सिरोही में आरएसएस और भाजपा से जुड़े मूल कार्यकर्ताओं की पार्टी में अवहेलना का ये पहला मामला नहीं है। अभी भी करीब दर्जनों बुजुर्ग लोग इस अवहेलना का शिकार होकर संगठन से कन्नी काट चुके हैं। लेकिन आरएसएस और भाजपा की मूल विचारधारा से जुड़े व्यक्ति के द्वारा कांग्रेस में सेवा के लिए शामिल होने का ये पहला मामला है।

दिनेश्वर पुरोहित ने जिले में शिक्षा के क्षेत्र में जुड़कर लोगों के बीच अपनी जो पैठ बनाई थी वो भूलने वाली नहीं है। कांग्रेस शासन में जावाल के प्रधानाचार्य रहते हुए भी उन्हें इस तरह से प्रताड़ना नहीं झेलनी पड़ी जितनी भाजपा के शासन में राजनीति द्वेषता का शिकार बनाया गया। इस निर्णय पर पूरा जिला आश्चर्य चकित है। दिनेश्वर पुरोहित ने बताया कि वे अपनी विचारधाराओं के साथ सेवा के लिए ही कांग्रेस से जुड़े हैं। वहां उन्हें आत्मसम्मान का सम्मान होता है तो वे यहां अपनी सेवाएं अनवरत रखेंगे।

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