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मोतियाबिंद ऑपरेशन में छह मरीजों की आंखों की रोशनी गई थी, एक की मृत्यु

 

वाराणसी । उत्तर प्रदेश में वाराणसी के मारवाड़ी अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद जिन छह मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई थी, उनमें से एक की इलाज के दौरान रविवार को मृत्यु हो गई।

मामले की जांच कर रहे जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 वी0 बी0 सिंह ने आज बताया कि यज्ञ नारायण चौबे की काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ट्रॉमा सेंटर में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। बिहार के बक्सर जिले के निवासी 80 वर्षीय श्री चौबे कई बीमारों से ग्रस्त थे।

उन्होंने बताया कि चौबे की मृत्यु आंखों के ऑपरेशन के बाद हुए संक्रमण के कारण नहीं हुई। वह डायबीटीज की गंभीर बीमार से ग्रस्त थे और इसी वजह से उनकी मृत्यु हुई।

 

इससे पहले उन्हें आंखों की रोशनी जाने के बाद करीब दस दिनों पहले पांच अन्य मारीजों के साथ माड़बाड़ी अस्तपाल से एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां उनका इलाज चला और हालत नाजुक होने के बाद शनिवार को ट्रॉमा सेंटर भर्ती करवाया गया था।

सिंह ने बताया कि जिन लोगों के आखों की रोशनी जाने की शिकायत थी, उनमें अख्तरी बेगम, मालती देवी, पार्वती देवी, वंदना एवं त्रिवेणी शामिल हैं। सभी मरीजों के आंखों का फिर ऑपरेशन किया गया था तथा अब उनके रोशनी लौट रही है। अगले कुछ दिनों में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दिये जाने की संभावना है।

 

उन्होंने बताया कि अख्तरी बेगम वाराणसी के नवबागंज एवं मालती देवी कोनिया की निवासी हैं, जबकि त्रिवेणी चंदौली, पार्वती मिर्जापुर और वंदना जौनपुर की निवासी हैं।

डॉ0 सिंह ने बताया कि छह मरीजों को गत 12 जून को मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था, लेकिन उनका कहना है कि ऑपरेशन के चौबीस घंटे बाद जब पट्टी खोली गई तो उन्हें कुछ नहीं दिखाई दे रहा था।

 

ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर ने उन्हें फिर बताया कि अगले 72 घंटे में रोशनी आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद मरीजों के तीमारदारों ने अस्तपाल प्रशासन एवं ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाकार हंगाम किया था।

जिलाधिकारी के आदेश पर अपर जिलाधिकारी (नगर) वीरेंद्र प्रसाद पांडेय और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 सिंह ने अस्पताल में भर्ती मरीजों से मुलाकात की थी। उनके आदेश पर सभी मरीजों का बेहतर इलाज के लिए एक निजी अस्पताल भर्ती करवाया गया था।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि इस मामले में फिलहाल कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

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