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राजस्थान के दो राजघरानों ने किया भगवान श्रीराम के वंशज होने का दावा

जयपुर। सुप्रीमकोर्ट द्वारा राममंदिर की सुनवाई के दौरान राम के वंशज के बारे में सवाल पूछने पर राजस्थान के दो पूर्व राजघरानों ने श्रीराम के वंशज होने का दावा किया है। इनमें में जयपुर राजघराने की पूर्व राजकुमारी दीयाकुमारी ने दावा किया है कि उनका परिवार राम के पुत्र कुश का वंशज है। जबकि मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार ने लव का वंशज होने का दावा किया है।

मेवाड़ के पूर्व महाराज महेंद्र सिंह मेवाड़ ने कहा है कि हमारा राजघराना राम के पुत्र लव का वंशज है। मेवाड़ में उनकी 76 पीढ़ियों का इतिहास दर्ज है, जबकि राजघराने का इतिहास और भी पुराना है। मेवाड़ राजघराने के ही लक्ष्यराज ने बताया कि कर्नल जेम्स टार्ड की पुस्तक के मुताबिक लव के वंशज कालांतर में गुजरात होते हुए आहाड़ यानी मेवाड़ में आये जहां सिसोदिया साम्राज्य की स्थापना की गई।

उन्होंने कहा कि श्रीराम भी शिव उपासक थे और मेवाड़ राजपरिवार भी एक लिंगनाथ (शिवजी) का उपासक है। मेवाड़ राज परिवार के सूर्यवंशी श्री राम के वंशज होने के पुख्ता प्रमाण हैं।

‘विजेता प्रताप’ के लेखक प्रो़ चंद्र शेखर शर्मा का कहना है कि मेवाड़ राजपरिवार का राज प्रतीक सूर्य है और शिव उपासक हैं। ये दोनों समानतायें श्रीराम के वंशज में भी रही हैं। चतुर चिंतामणि ने भी महाराणा प्रताप को श्रीराम का वंशज अैर रघुवंशी लिखा है।

उधर कांग्रेस के प्रवक्ता सत्येंद्र सिंह राघव ने दावा किया है कि राम के वंशज राघव राजपूत हैं। राघव ने बाल्मीकि रामायण के पृष्ठ संख्या 1671 का उल्लेख किया है, जिसमें राम की वंशावली की जानकारी है। राघव ने बताया कि राम के पुत्र लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ जिनमें बगुर्जर, जयात और सिकरवारु का वंश चला, जबकि कुश से कुशवाह राजपूतों का वंश चला।

इससे पहले जयपुर राजघराने की पूर्व राजकुमारी दीया कुमारी ने कुुुश का वंशज होने का दावा किया था। उच्चतम न्यायालय द्वारा रामलला के वकील से वंशावली के बारे में सवाल पूछने पर उन्होंने कोई जानकारी नहीं होने की बात कही थी इस पर मेवाड़ के पूर्व महाराजा महेंद्र सिंह का कहना है कि श्रीराम के वंशजों की वंशावली अयोध्या मुकदमे का मुद्दा ही नहीं है। उन्होंने दावा किया कि जयपुर राजघराने ने करीब 25 साल पूर्व वंशावली की जानकारी दी थी उसका भी कुछ नहीं हुआ।

राजसमंद की सांसद दीयाकुमारी ने कहा कि राजघराने के पोथीखाने में नक्शे और पत्रावलियां सुबूत के रूप में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि हम कुश के वंशज हैं और देशभर में लव के भी वंशज हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि वंशावली के अनुसार दशरथ 62वें और राम 64वें वंशज हैं। उनके पिता भवानी सिंह 307वें वंशज थे और उनका नम्बर 308वें पर आता है।

दीयाकुमारी ने कहा कि मंदिर में ऐसे दस्तावेज मिलते हैं जिसके अनुसार अयोध्या महाराजा जयसिंह के अधीन आता था और सवाई जयसिंह ने ही 1717 से 1725 के बीच मंदिर का निर्माण कराया था।

दीयाकुमारी ने कहा कि वह अपनी तरफ से अदालत में कोई दस्तावेज पेश नहीं करेंगी, लेकिन अदालत उनसे सुबूत मांगे तो वह देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अगर राममंदिर का बनाने का रास्ता साफ होता है तो उन्हें किसी भी तरह की मदद करने में खुशी होगी।

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