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1 जुलाई से दूध माफिया पर कसेगी नकेल, आक्सीटॉक्सीन इंजेक्शन बनाने पर रोक

 

नई दिल्ली। स्ववास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दुधारु पशुओं से दूध निकालने के लिए देश में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की जाने वाली आक्सीटॉक्सीन दवा के निजी क्षेत्र में निर्माण पर एक जुलाई से रोक लगा दी है । इसके साथ ही विदेश से भी इसके आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है ।

निजी क्षेत्र के दवा निर्माताओं को घरेलू उपयोग के लिए एक जुलाई से आक्सीटॉक्सीन के उत्पादन की इजाजत नहीं दी जायेगी ।

सार्वजनिक क्षेत्र के कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्वीटिकल्स लिमिटेड (केएपीएल) घरेलू उपयोग के लिए इस दवा को तैयार करेगी । यही कम्पनी निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के निबंधित अस्पतालों और क्लीनिकों को इस दवा की आपूर्ति करेगी । सभी अस्पतालों को अब आक्सीटॉक्सीन दवा के लिए केएपीएल कम्पनी से सम्पर्क करना होगा ।

दुधारु पशुओं का ज्यादा दूध निकालने के लिए अक्सर आक्सीटॉक्सीन हारमोन का उपयोग किया जाता है ।

इस हारमोन का इंजेक्शन पशुओं में दिए जाने से दूध देने वाली सिरानाल में दबाव बनाया जाता है जिससे थनों से अनैक्छिक दूध का प्रवाह होता है । जिस दुधारु पशु का बच्चा किसी कारण से मर जाता है उसका दूध निकालने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता हैं । प्रसव के दौरान रक्तस्त्राव रोकने के लिए चिकित्सक इस दवा का उपयोग करते हैं ।

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