अजमेर। बारिश का मौसम शुरू हो चुका है। आप कहीं पिकनिक मनाने का मूड बना रहे हैं तो हम आपको बताते हैं, एक शानदार डेस्टिनेशन। जी हां, आप दिलकश नजारों के बीच चलती ट्रेन में पिकनिक का लुत्फ उठा सकते हैं, वह भी सिर्फ 10 रुपए में।
हम बात कर रहे हैं अजमेर-पुष्कर ट्रेन की। तीर्थराज पुष्कर ट्रेन मार्ग से जुड़ चुका है। फिलहाल अजमेर-पुष्कर के बीच सप्ताह में 5 दिन ट्रेन एक फेरा कर रही है। इस ट्रेन की कनेक्टिविटी हरिद्वार से की गई है। हरिद्वार से सुबह अजमेर पहुंचने वाली हरिद्वार-उदयपुर ट्रेन के आने के बाद ही इस ट्रेन को पुष्कर के लिए रवाना किया जाता है।
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कब होती है संचालित
अजमेर-पुष्कर ट्रेन सप्ताह में मंगलवार और शुक्रवार को छोड़कर पांचों दिन संचालित होती है। अजमेर से इसकी रवानगी सुबह 9.55 बजे होती है और लगभग 11 बजे यह 33 किलोमीटर का सफर कर पुष्कर पहुंचा देती है। वापसी में शाम 4 बजे यही ट्रेन अजमेर के लिए रवाना होती है।
अजमेर से पुष्कर के बीच यह ट्रेन 3 स्टेशनों पर भी रुकती है। मदार, माकड़वाली और बूढ़ा पुष्कर। यह ट्रेन मारवाड़ से अजमेर पहुंचती है और अजमेर से पुष्कर जाती है।
खाली ट्रेन का लुत्फ
अब बात करें रोमांच की तो इस ट्रेन में यात्री दबाव बिल्कुल भी नहीं है। रोजाना औसतन 20-30 यात्री एकतरफा यात्रा करते हैं। पूरी ट्रेन लगभग खाली ही आती-जाती है। ऐसे में परिवार के साथ इस ट्रेन में पिकनिक मनाते हुए प्राकृतिक दृश्यों का भरपूर आनन्द उठाया जा सकता है।
अजमेर-पुष्कर ट्रैक अभी नया ही है। रास्ते में घुमावदार पटरियां, पुल, रेतीले धोरे, हरे-भरे खेत के नजारे करने के साथ ही अजमेर शहर की अर्द्ध परिक्रमा करते हुए मौसम का लुत्फ उठाया जा सकता है।
सबसे अजीब सिस्टम
इस ट्रेन में यात्रा करते हुए आपको ऐसा अनुभव होगा जो कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। दरअसल, यह ट्रेन रुक रुककर चलती है। अजमेर से मदार और माकड़वाली पार करने के बाद 3 क्रॉसिंग आते हैं और हर क्रॉसिंग पर कुछ ऐसा होता है कि सवारियां ताज्जुब करने लगती हैं।
जैसे ही क्रॉसिंग नजदीक आती है तो ट्रेन रुक जाती है। ट्रेन में से गेटमैन उतरता है और दौड़कर फाटक पर पहुंचता है। अगर फाटक से ट्रैफिक गुजर रहा है तो ट्रेन को इंतजार करना पड़ता है। रास्ता साफ होते ही गेटमैन फाटक बंद कर देता है। तब ट्रेन धीरे-धीरे वह क्रॉसिंग पार करती है और आगे जाकर फिर रुक जाती है। गेटमैन फाटक खोल देता है और ट्रेन के पिछले डिब्बे में सवार हो जाता है। अगले फाटक पर फिर यही क्रम दोहराया जाता है।
कस्बे से एक किलोमीटर दूर स्टेशन
पुष्कर का रेलवे स्टेशन कस्बे से करीब एक किलोमीटर दूर है। जानकार लोग तो स्टेशन से पहले ही क्रॉसिंग पर उतर जाते हैं ताकि स्टेशन से वापस पैदल न आना पड़े। वैसे ट्रेन के समय कुछ टेम्पो-ऑटो रिक्शा वाले सवारियां लेने स्टेशन पर पहुंच जाते हैं। आप चाहें तो नया स्टेशन देखने-घूमने के बाद टेम्पो से या पैदल ही चलकर कस्बे में आ सकते हैं। आपके पास पूरे पांच घण्टे हैं। आप आसानी से तीर्थनगरी में घूमकर शाम को 4 बजे वापस यही ट्रेन पकड़कर अजमेर लौट सकते हैं।