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आरबीआई गवर्नर ने दिए ब्याज दरों में और कमी किए जाने के संकेत

मुंबई। रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में आगे और कटौती किये जाने के संकेत देते हुए आज कहा कि कोरोना वायरस महामारी से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए किए गए उपायों को जल्दबाजी में नहीं हटाया जाएगा।

दास ने एक वर्चुअल सम्मेलन में कहा कि ब्याज दर में कटौती हो या फिर अन्य नीतिगत कदम उठाये जायें उनके पास अभी कदम उठाने के विकल्प हैं। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने इस महीने के पहले सप्ताह में जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। केंद्रीय बैंक इससे पहले पिछली दो बैठकों में नीतिगत दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है।

दास ने कहा कि महामारी की रोकथाम के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा। कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर केंद्रीय बैंक द्वारा घोषित राहत उपायों के बारे में उन्होंने कहा कि किसी भी तरह से यह नहीं मानना चाहिए कि आरबीआई उपायों को जल्द हटा लेगा।

 

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप और अन्य पहलुओं पर एक बार स्पष्टता होने के बाद आरबीआई महंगाई दर और आर्थिक वृद्धि पर अपने पूर्वानुमान देना शुरू कर देगा।

उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, बैंकिंग क्षेत्र लगातार मजबूत और स्थिर बना हुआ है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एकीकरण सही दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि बैंकों का आकार जरूरी है, लेकिन दक्षता इससे भी महत्वपूर्ण है। बैंक तनाव का सामना करेंगे, यह जाहिर सी बात है, लेकिन अधिक महत्वपूर्ण यह है कि बैंक चुनौतियों के समक्ष किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं और उसका सामना करते हैं।

दास ने बैंकों को सावधान करते हुए कहा कि जोखिम से जरूरत से ज्यादा बचने की प्रवृत्ति खुद उनके लिए नुकसानदायक होगी और यदि वे अपना बुनियादी काम भी नहीं करेंगे, तो कमाई भी नहीं कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि कर्ज देने से बचने की जगह बैंकों को अपने जोखिम प्रबंधन और प्रशासनिक ढांचे में सुधार करना चाहिए और खुद में पर्याप्त लचीलापन लाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कर्ज वृद्धि जरूरी है। बैंकर पिछले अनुभव को याद करते हैं और कर्ज को बिगड़ने से बचाने के लिये उनका इस बात ही पर जोर रहता है कि ऋण देने से ही बचा जाए। बैंक द्वारा धोखाधड़ी को रोकने की अपनी क्षमता में सुधार करने की पर्याप्त गुंजाइश है, ताकि वे कमजोरियों की तुरंत पहचान कर सकें।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कुल मिलाकर बैंकिंग प्रणाली मजबूत और स्थिर बनी हुई है और ऋणदाताओं को आने वाले समय में वृद्धि के नए मॉडल को विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि महामारी के खिलाफ सरकार ने वित्तीय स्तर पर काफी जिम्मेदारी, सूजबूझ और सोच विचार के साथ कदम उठाएं हैं।

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