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निजी पेट्रोलियम कम्पनियों पर मोदी सरकार मेहरबान!

-रिलायंस-नायरा को प्योर पेट्रोल बेचने की छूट

-सरकारी तेल कम्पनियों पर एथोनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल बेचने की बाध्यता

 

सन्तोष खाचरियावास

अजमेर। अडानी-अम्बानी को पोसने के आरोपों से घिरी केन्द्र की मोदी सरकार निजी पेट्रोलियम कम्पनियों पर वाकई मेहरबान है। सरकार ने जहां सरकारी तेल कम्पनियों के लिए पेट्रोल के साथ 10 फीसदी एथोनॉल मिलाकर बेचने की बाध्यता लागू कर रखी है, वही निजी कम्पनियों को प्योर पेट्रोल बेचने की इजाजत दे रखी है। इनके हजारों पेट्रोल पम्पों पर रोजाना करोड़ों लीटर शुद्ध पेट्रोल बेचा जा रहा है। इससे खुद मोदी सरकार की ईबीपी नीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल यह है कि एथोनॉल मिश्रित पेट्रोल बेचने के देशहित में कई फायदे हैं तो निजी तेल कम्पनियों पर यह बाध्यता लागू क्यों नहीं है।

यह है ईबीपी पॉलिसी

देश में पेट्रोल का आयात कम करने के लिए उसमें 10 फीसदी एथोनॉल मिलाकर एथोनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (ईबीपी) बेचा जा रहा है। जल्द ही यह मात्रा 20 फीसदी की जा रही है। सरकार यह कहकर वाहवाही लूट रही है कि इससे विदेशों से पेट्रोल पर निर्भरता कम होने के साथ ही गन्ना किसानों को लाभ पहुंच रहा है। पर्यावरण संरक्षण भी हो रहा है।

इन्हें छूट क्यों ?

 एचपीसीएल, बीपीसीएल और आईओसीएल के पम्पों पर लोगों को एथोनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल खरीदना पड़ रहा है। जबकि लगभग उसी रेट पर नायरा और रिलायंस जैसी निजी कम्पनियों के पम्पों पर ग्राहकों को प्योर पेट्रोल मिल रहा है। अपने वाहन को पानी से होने वाली समस्या से बचाने के लिए समझदार लोग निजी तेल कम्पनियों के पम्पों से पेट्रोल भरवाने को तरजीह दे रहे हैं।

एथोनॉल का पानी से यह वास्ता

बारिश के दिनों में आपने कई टू व्हीलर की पेट्रोल टंकी में पानी घुसने की समस्या देखी होगी। लोग मैकेनिकों के यहां अपनी गाड़ी ठीक कराते नजर आते हैं। लोग समझ नहीं पाते कि आखिरकार टंकी में पानी आया कहां से। कई वाहन चालक पेट्रोल पम्प संचालकों से झगड़ पड़ते हैं। रोज-रोज के झगड़ों से बचने के लिए पम्प संचालकों ने अपने यहां सूचना बोर्ड लगा रखे हैं जिनमें वाहन चालकों को फ्यूल टंकी को पानी से बचाने और समय-समय पर फ्यूल टंकी खाली कराकर सफाई कराने की सलाह दी गई है।
दरअसल, एथोनॉल पानी में घुलनशील है। फ्यूल टंकी में जरा सा भी पानी या मॉइश्चर होने पर पूरा एथोनॉल पानी बन जाता है और गाड़ी चलते-चलते बंद हो जाती है।

पेट्रोल पम्प संचालक भी परेशान

एथोनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल के कारण पम्प संचालक भी परेशान हैं। कई बार उनके टैंक में भरा पेट्रोल भी पानी के सम्पर्क में आने के कारण खराब हो जाता है। एथोनॉल पानी में तब्दील हो जाता है। उन्हें टैंक की सफाई करानी पड़ती है। बारिश के दिनों में यह समस्या ज्यादा पेश आती है। इससे बचने के लिए कई प्रभावशाली पम्प संचालक टर्मिनल प्रशासन से मिलीभगत कर अपने यहां प्योर पेट्रोल की सप्लाई मंगवाते हैं। इससे उनके ग्राहक भी खुश रहते हैं।

निजी कम्पनियों के पेट्रोल पम्पों पर नहीं झंझट

चूंकि केन्द्र सरकार ने रिलायंस-नायरा जैसी कम्पनियों को बिना एथोनॉल मिश्रित प्योर पेट्रोल बेचने की छूट दे रखी है, इसलिए उनके पम्पों पर पेट्रोल में पानी की समस्या नहीं होती है। और इसीलिए ही जानकार लोग निजी कम्पनियों के पम्पों से ही पेट्रोल भरवाने में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। इससे निजी तेल कम्पनियां फल-फूल रही हैं।

सूचना देने में आनाकानी

हमने आरटीआई में पेट्रोलियम मंत्रालय से कुछ सूचनाएं चाहीं। जवाब में मंत्रालय ने यह तो बता दिया कि देशभर में 1 जनवरी 23 तक रिलायंस के 1523 और नायरा के 6497 पेट्रोल पम्प संचालित हैं। लेकिन यह नहीं बताया कि आखिर इन कम्पनियों को बिना एथोनॉल मिश्रित प्योर पेट्रोल बेचने की इजाजत किस आधार पर दी गई है।

एथेनॉल के फायदे
एथेनॉल के इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनोऑक्साइड निकलता है। इतना ही नहीं यह कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन और सल्फर डाइऑक्साइड को भी कम करता है। इसके अलावा एथेनॉल हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को भी कम करता है। एथेनॉल में 35 फीसदी ऑक्सीजन होती है।

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