जानो मत, सिर्फ मानो
पेट्रोलियम कम्पनियों की मनमानी, उपभोक्ता लाचार
सन्तोष खाचरियावास
अजमेर। आप हर महीने हजारों रुपए का पेट्रोल खरीदते हैं, लेकिन आपकी गाड़ी में पेट्रोल के साथ कितना एथोनॉल मिलाया जा रहा है, यह आप चाहकर भी नहीं जान सकते। पेट्रोल पम्पों पर ऐसा कोई उपकरण या जांच किट मौजूद नहीं है जिससे आप पता लगा सकें कि आपके पेट्रोल में एथोनॉल निर्धारित मात्रा में मिला है या कम-ज्यादा। खुद तेल कम्पनियों ने आरटीआई के तहत दी गई सूचना में यह कबूल किया है।
दरअसल, मोदी सरकार ने साल 2018 से पेट्रोल में 10 फीसदी एथोनॉल मिलाकर बेचना अनिवार्य कर रखा है। साल 2025 तक यह मात्रा बढ़ाकर 20 फीसदी करने की तैयारी है। एथोनॉल की कीमत लगभग 63.45 रुपए प्रतिलीटर है जबकि पेट्रोल के दाम 100 रुपए प्रतिलीटर से ज्यादा हैं। प्योर पेट्रोल में 10 फीसदी एथोनॉल मिलाकर बेचने से जहां जनता को पेट्रोल सस्ता पड़ रहा है, वही बाकी सबका भला भी हो रहा है। सरकार को पेट्रोल का आयात कम करना पड़ रहा है, विदेशी मुद्रा बच रही है, पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलने के साथ ही गन्ना किसानों एवं गन्ने से एथोनॉल बनाने वाली डिस्टलरीज को लाभ पहुंच रहा है। मोदी सरकार इसे लेकर उत्साहित है और अपनी उपलब्धि मान रही है।
तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि तेल कम्पनियां पेट्रोल में सस्ता एथोनॉल मिलाने की आड़ में जमकर मनमानी कर रही हैं। कई बार डिस्टलरी से एथोनॉल सप्लाई नहीं आने की कहकर अपने चहेते पेट्रोल पम्पों को प्योर पेट्रोल सप्लाई कर दिया जाता है। एचपीसीएल के सराधना (अजमेर) स्थित टर्मिनल से लाखों लीटर प्योर पेट्रोल सप्लाई किया जा चुका है। खुद हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. (एचपीसीएल) एक अन्य आरटीआई के जवाब में यह कबूल कर चुका है।
कभी 10 फीसदी से ज्यादा एथोनॉल भी मिला दिया जाता हो, इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता।
हैरानी की बात है कि पेट्रोल में एथोनॉल के अलावा किसी केमिकल की मिलावट जांचने के लिए तो पम्पों पर फिल्टर पेपर टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है लेकिन सस्ता एथोनॉल 10 फीसदी से ज्यादा तो नहीं मिलाया गया है, यह टेस्ट कराने के लिए कोई उपकरण मौजूद नहीं है।
मिलावट जांचने के लिए सिर्फ यह इंतजाम
पेट्रोल में किसी प्रकार की मिलावट तो नहीं है (एथोनॉल के अलावा) यह जांचने के लिए पम्पों पर फिल्टर पेपर उपलब्ध होता है। ग्राहक चाहे तो पेट्रोल की जांच कराने के लिए कह सकता है। इसमें फिल्टर पेपर पर पेट्रोल की कुछ बूंदें गिराई जाती हैं। थोड़ी देर में पेट्रोल उड़ जाता है। अगर फिल्टर पेपर पर कोई निशान नहीं दिखे तो इसका मतलब है कि उसमें कोई मिलावट नहीं है। अगर कोई धब्बा बन जाए तो यकीनन पेट्रोल मिलावटी है।