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लोकसंग्रह अभियान पर निकले तिवाड़ी फिर गरजे, बोले- सबसे बड़ी अनुशासनहीन हैं वसुंधरा


जयपुर। दीनदयाल वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष सांगानेर विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने अपने प्रदेशव्यापी लोकसंग्रह अभियान के अंतर्गत शनिवार को जयपुर शहर के 1100 कार्यकर्ताओं के साथ लोहार्गल तीर्थ जाकर भगवान श्रीसूर्यनारायण के दर्शन किए।

दर्शन के बाद वहां उपस्थित कार्यकर्ताओं की सभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 9 अगस्त को क्रांतिकारियों ने काकोरी में रेलगाड़ी में रख कर अंग्रेज़ों द्वारा देश को लूट कर लिए जा रहे धन को स्वतंत्रता के आंदोलन के लिए अपने क़ब्ज़े में लिया था।
9 अगस्त को ही अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा भी लगा था। अभी प्रधानमंत्रीजी ने भी भ्रष्टाचार भारत छोड़ो का नारा दिया है। यह स्वागत योग्य है। लेकिन जनता के मन में प्रधानमंत्री के इस नारे की विश्वसनीयता तभी साबित होगी जब वे राजस्थान की मुख्यमंत्री को बर्खास्त कर देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ इस आंदोलन की शुरुआत करेंगे।

अपनी नाक के नीचे बैठी भ्रष्टाचार की महारानी को अगर पद से बर्खास्त नहीं किया तो फिर जनता की नज़र में यह नारा भी खोखला ही साबित होगा। जब इस मुख्यमंत्री पर जब कार्रवाई की जाएगी जिसने राजस्थान को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी तब जनता मानेगी कि नीयत साफ़ है। नहीं तो ये पब्लिक है, ये सब जानती है!
मेरे और मेरे परिवार के ख़िलाफ़ षड्यंत्र रच काम किया जा रहा है, लेकिन कोई भी षड्यंत्र वाहिनी की गति को रोक नहीं पाएगा, हम और भी अधिक संकल्पबद्ध होकर काम करेंगे और राजस्थान से भ्रष्टाचार की महारानी को उखाड़ फेंकेंगे।

तिवाड़ी ने कहा कि जिन्होंने मुझपर जानलेवा हमला किया उन्हें भाजपा के नेतृत्व ने संरक्षण दिया। भाजपा की केंद्रीय अनुशासन समिति ने राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष की शिकायत पर मुझे अनुशासन का नोटिस दिया। जो नोटिस दिया वह भी पत्र के माध्यम से नहीं पहले मीडिया के माध्यम से दिया। लेकिन जब मैंने नोटिस का जवाब भेजा तो खेल उल्टा पड़ गया।

तिलमिला कर, घबरा कर, मुख्यमंत्री दिल्ली भागीं और अमित शाह से मिली। वहां यह बात हुई कि इस जवाब के बाद तिवाड़ी पर कार्रवाई सम्भव नहीं। इस जवाब के आधार पर तो, सही देखा जाए, अनुशासनहीनता की कार्रवाई राजस्थान की मुख्यमंत्री पर होनी चाहिए। क्योंकि भाजपा में देश में कोई सबसे बड़ा अनुशासनहीन व्यक्ति है तो वह राजस्थान की मुख्यमंत्री है।

ये हर हफ़्ते पार्टी के कार्यकर्ताओं, विचारधारा, पार्टी के नेताओं, पार्टी की रीति-नीति की तौहीन करतीं हैं। लेकिन बैठक में निर्णय यह नहीं हुआ कि मुख्यमंत्री पर कार्रवाई की जाए। बैठक में निर्णय यह किया गया कि कार्रवाई तो तिवाड़ी पर ही करनी है।

लेकिन कोई भी कार्रवाई करने से पहले उसे जनता में बदनाम करो, झूठे आरोप लगवाओ, किसी सरकारी विभाग से झूठी जाँच करवाओ, और फिर कोई केस बना कर पार्टी से निकाल दो! यह बात ख़ुद मुख्यमंत्री ने अपने नज़दीकी लोगों को बतलाई है।

तिवाड़ी ने कहा कि ये लोग सत्ता में बैठे हैं और इन्हें भी यह भ्रम हो गया है कि ये लोग सर्वशक्तिमान हैं, और अब संसार में जो ये चाहेंगे वह होगा। इस प्रकार की ग़लतफ़हमी इतिहास में बहुत सारे शासकों को हुई है। इनको भी हो रही है तो कोई आश्चर्य नहीं। पहले के कई निरंकुश शासकों की यह ग़लतफ़हमी भगवान ने दूर की। लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन होती है। इसलिए इनकी ग़लतफ़हमी दूर करने का काम जनता शीघ्र ही कर देगी।

हम षड्यंत्रों से नहीं डरते

तिवाड़ी ने कहा कि हम गोलमदारों के ऊंट हैं खुड़कों से नहीं डरते। आपातकाल में जेल में गए, यातनाएं सहीं, और लोकतंत्र की रक्षा का काम किया। अब राजस्थान की रक्षा के लिए निकाल पड़े हैं तो इस प्रण को पूरा करके रहेंगे।

तिवाड़ी ने कहा कि लोकसंग्रह अभियान की शुरुआत तो तभी हो गई थी जब उन्होंने विधानसभा में किसानों की ज़मीन का चोर दरवाज़े से अधिग्रहण के लिए लाए गए SIR बिल के खिलाफ़ आवाज उठाई, जब उन्होंने प्रदेश के बेरोजगार युवाओं का मुद्दा उठाया, जब उन्होंने बिजली और खनन घोटाले के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई, जब उन्होंने राज्य की जनसंपदा की लूट के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई।

बीच-बीच में लगता था की केंद्रीय नेतृत्व राजस्थान के हित में कुछ निर्णय लेगा। लेकिन अब लगता है कि उनकी भी इनसे मिलीभगत हो गई है। लगता है राजस्थान का सौदा हो गया है। इन सबके कारण पानी अब सर से गुज़र रहा है, अति हो गई है। इसलिए अब राजस्थान के वीरों को जागृत कर एक नई क्रान्ति लाने और एक नई राजनीतिक शक्ति खड़ा करने का समय आ गया है।

बहुत से प्रबुद्ध लोग चाहते हैं कि हम जल्दी घोषणा करें। यह घोषणा हम प्रदेश के सभी समाजों और वर्गों के लोगों से सम्पर्क और विचार-विमर्श के बाद करेंगे। इसलिए क्रान्ति रथ में बैठकर हम लोकसंग्रह अभियान को तीन माह में सम्पन्न कर 10 नवंबर, कालभैरव जयंती के दिन निर्णय लेंगे।

जताया आभार

तिवाड़ी ने कहा कि वे सांगानेर के कार्यकर्ताओं और जनता के आभारी हैं कि राजस्थान की रक्षा के इस पवित्र कार्य में वे कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और शक्ति प्रदान का रहे हैं। उनके इसी संबल के कारण मैं मजबूती से राजस्थान के मुद्दे उठा रहा हूं।

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