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पुलिस कांस्टेबल दस लाख रुपए की रिश्वत लेते अरेस्ट

जयपुर। राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने राजधानी जयपुर में एक पुलिस कांस्टेबल को दस लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया हैं।

एसीबी के महानिदेशक बीएल सोनी के अनुसार ब्यूरो की जोधपुर टीम ने सोमवार देर रात श्रीगंगानगर के जवाहरनगर थाना में तैनात कांस्टेबल नरेश चंद मीणा को जयपुर में टोंक रोड़ स्थित एक होटल से यह रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।

सोनी ने बताया कि यह रिश्वत एनडीपीएस एक्ट के एक मुकदमे में आरोपी को राहत देने के लिए मांगी गई थी। इससे पहले कांस्टेबल शिकायतकर्ता पीड़ित से 16 लाख रुपए रिश्वत ले चुका था। रिश्वत के इस खेल में जवाहर नगर थानाप्रभारी राजेश कुमार सियाग भी शामिल था। वह झुंझुनूं का रहने वाला है। कार्रवाई की भनक लगने पर वह फरार हो गया। कांस्टेबल करौली जिले के नादौती तहसील में गांव मिलक सराय का रहने वाला है। जवाहर नगर थानाधिकारी राजेश कुमार सियाग की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

उत्तरप्रदेश में कानपुर जिले के गोविंद नगर में रहने वाले पेशे से व्यापारी हरदीप सिंह ने 26 अक्टूबर को एसीबी जोधपुर चौकी में शिकायत दर्ज करवाकर बताया कि उसकी और उसके भतीजे पवन कुमार अरोड़ा की कानपुर में बिरहना रोड पर श्री गुरु तेगबहादुर फार्मा के नाम से दुकान है। श्रीगंगानगर जिले के सदर थाने में दर्ज एनडीपीएस एक्ट के तहत एक मुकदमे की जांच जवाहर नगर थानाप्रभारी राजेश कुमार सियाग के पास थी। इसमें नशीली गोलियां पकड़ी गई थी।

परिवादी हरदीप सिंह का कहना था कि नशीली गोलियों के कारोबार में उनकी फर्म की कोई भूमिका सामने नहीं आने के बावजूद थानाप्रभारी राजेश सियाग ने उनके भतीजे पवन कुमार अरोड़ा को नोटिस दे दिया। गत 18 सितंबर को आरोपी कांस्टेबल नरेशचंद मीणा व एएसआई सोहनलाल कानपुर में उनकी दुकान पर पहुंचे। वे दोनों पवन कुमार को दवाइयों के संबंध में पूछताछ के लिए होटल गगन प्लाजा में ले गए। वहां पवन कुमार अरोड़ा को मुकदमे में गिरफ्तारी का डर दिखाया। उसे श्रीगंगानगर ले जाने की बात कहते हुए 15 लाख रुपए वसूल कर लिए।

कांस्टेबल नरेशचंद ने बताया कि ढाई ढाई लाख रुपए वह और एएसआई सोहनलाल आपस में बांटेंगे। इसके अलावा 10 लाख रुपए मुकदमे में अनुसंधान अधिकारी जवाहर नगर थानाप्रभारी राजेश कुमार सियाग को देने को कहा। इसके बाद वे दोनों 15 लाख रुपए लेकर गंगानगर लौट आए।

परिवादी हरदीप सिंह ने बताया कि 25 सितंबर को दोबारा कांस्टेबल नरेशचंद मीणा यूपी में पवन अरोड़ा के घर पहुंच गया। उसे बताया कि थानाप्रभारी राजेश सियाग उनके दवाओं की जानकारी से संतुष्ट नहीं है। वे 25 लाख रुपए रिश्वत की मांग कर रहे हैं। यदि रुपयों का इंतजाम हो जाएगा तो वे उसे छोड़ देंगे। फिर वह एक लाख रुपए लेकर आ गया।

22 अक्टूबर को कांस्टेबल नरेशचंद मीणा वापस यूपी पहुंच गया। वहां व्हाट्सएप कॉल से पवन अरोड़ा से बातचीत की। उससे 25 लाख रुपए की मांग की। तब पवन ने खुद के दिल्ली होने की बात कही। ऐसे में कांस्टेबल ने पवन को धमकाकर उसका दिल्ली का फ्लाइट टिकट बुक करवाने का दबाव डाला।

तब पवन ने कांस्टेबल नरेशचंद के लिए अपने रिश्तेदार के मार्फत ऑनलाइन टिकट बुक करवाया। तब नरेशचंद रिश्वत की रकम लेने फ्लाइट से दिल्ली पहुंच गया। तब पवन अरोड़ा ने बताया कि वह कोरोना संक्रमित है। अभी रिश्वत की रकम नहीं दे सकेगा। तब कांस्टेबल ने पवन अरोड़ा से 10 लाख रुपए में सौदा तय किया।

कांस्टेबल नरेशचंद मीणा ने पवन के चाचा हरदीप सिंह से बातचीत कर 26 अक्टूबर को रिश्वत की रकम लेकर जयपुर बुलाया। कल हरदीप सिंह जयपुर एयरपोर्ट पर पहुंचे। उन्होंने एसीबी में शिकायत दर्ज करवा दी। इससे अनजान कांस्टेबल नरेशचंद खुद एक पिकअप लेकर रिश्वत लेकर आए हरदीप सिंह को लेने जयपुर एयरपोर्ट पहुंच गया।

इसके बाद वे दोनों पहले से निर्धारित टोंक रोड पर होटल रेडिसन ब्लू पहुंचे। वहां कांस्टेबल नरेशचंद को हरदीप सिंह ने 10 लाख रुपयों की रिश्वत सौंपी। तभी इशारा मिलते ही एसीबी टीम ने कांस्टेबल नरेशचंद को दबोच लिया।

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