अजमेर। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन के कारण 500 साल के इतिहास में पहली बार शुक्रवार को अजमेर में राजसी ठाटबाट से राठौड़ बाबा की सवारी नहीं निकल सकी। शिव पार्वती के प्रतीक राठौड़ बाबा के दर्शन को शहरवासी तरस गए। सवारी मार्ग पूरी तरह वीरान रहा।
अजमेर में चैत्र माह शुक्ल दशमी को गणगौर की सवारी निकालने की परंपरा रही है। सोने के आभूषणों से सजी शिव-पार्वती की प्रतिमाओं का दर्शन करने के लिए नया बाजार क्षेत्र में हजारों लोग एकत्रित होते हैं। गणगौर की सवारी को उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।
गणगौर की सवारी कार्यक्रम के संयोजक मुन्नालाल अग्रवाल ने बताया कि कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर जो लॉक डाउन चल रहा है, उसे देखते हुए सवारी नहीं निकाली गई।
उन्होंने बताया कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को सवारी निकलनी थी। लेकिन इस बार प्रतिमाओं को ताले से बाहर ही नहीं निकाला गया।
अग्रवाल ने बताया कि राठौड़ बाबा का सवारी प्रति वर्ष मोदियाना गली से निकलकर नया बाजार चौपड़ होते हुए आगरा गेट तक पहुंचती है। इस एक किलोमीटर के सफर को पूरा करने में कई घंटे निकल जाते हैं। यह सवारी सोलथम्बा फरीकेन की ओर से निकाली जाती है। गणगौर की सवारी के बाद प्रतिमाओं को मोदियाना गली स्थित तेजकरण और लक्ष्मण मोदियाना के परिवार में सुरक्षित रखा जाता है। लेकिन इस बार अजमेर के लोग गणगौर की सवारी का आनंद नहीं ले पाए।