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शिक्षा राज्यमंत्री के गृह जिले में सैकड़ों विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर

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अभिभावकों ने रास्ता रोका, प्राचार्य घेराव

डीबीएन स्कूल प्रकरण
स्कूल प्रशासन ने पुलिस बुलाई, अभिभावकों ने दी शिकायत
अजमेर। शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के गृह जिले में एक निजी स्कूल के सैकड़ों विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लग गया है। डीबीएन स्कूल मैनेजेमेंट कमेटी ने गुपचुप में अंगे्रजी माध्यम के विद्यार्थियों को हिन्दी माध्यम में मर्ज कर दिया। इसके विरोध में सोमवार को एनएसयूआई कार्यकर्ताओं व अभिभावकों ने उग्र प्रदर्शन किया। इस पर स्कूल प्रशासन ने रामगंज थाना पुलिस बुलवा ली। मौके पर पहुंचे सीआई भूपेन्द्र सिंह को अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करने संबंधी शिकायत दी है।

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अभिभावकों ने मंगलवार से अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजकर 11 बजे जिला कलक्टर, शिक्षा अधिकारी, जिला पुलिस अधीक्षक से स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने का निर्णय लिया है।
स्कूल पर तालाबंदी की चेतावनी के मद्देनजर स्कूल प्रबंधन ने पहले से ही पुलिस बुलवा रखी थी। पुलिसकर्मियों ने अभिभावकों को स्कूल परिसर में नहीं आने दिया। इस पर नाराज महिला अभिभावकों ने ब्यावर रोड जाम कर दिया। तब पुलिसकर्मियों ने गेट खोलकर प्राचार्य सुशांत सिंह से मिलने की अनुमति दी। एनएसयूआई के मोहित जैन ने अंगे्रजी माध्यम स्कूल की माध्यता संबंधी कागजात मांगे तो स्कूल प्रशासन ने मना कर दिया। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि अभिभावकों व मासूम बच्चों के साथ धोखा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगले दो दिन में अंगे्रजी माध्यम स्कूल पुराने भवन में शिफ्ट नहीं किया गया तो तालाबंदी कर दी जाएगी।
अंकतालिका से विषय गायब
अभिभावकों ने सीआई सिंह को दी शिकायत में बताया कि पिछले साल चौथी क्लास में बच्चों को कम्प्यूटर विषय पढ़ाया गया। हर माह स्कूल फीस के साथ कम्प्यूटर फीस भी ली गई, जिसकी रसीदें उनके पास हैं। पूरे साल यह विषय पढ़ाया गया। कम्यूटर विषय का एग्जाम भी हुआ लेकिन जब मार्कशीट दी गई तो उसमें कम्प्यूटर विषय नहीं है। साइंस, सोशल साइंस की जगह हिन्दी माध्यम के विषय लिखे हुए हैं। साथ ही इस बार पूरी मार्कशीट हिन्दी में दी गई है जबकि इससे पहले मार्कशीट इंग्लिश में दी जाती थी। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन में चार-पांच महीने पहले ही इंग्लिश मीडियम को हिन्दी मीडियम को मर्ज करने की साजिश रची ली लेकिन अभिभावकों को अंधेरे में रखा। अगर सेशन शुरू होने से पहले बता दिया जाता तो वे अपने बच्चों की टीसी कटवाकर किसी दूसरे इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रवेश दिला देते। जबकि स्कूल प्रबंधन ने नए सत्र की तीन माह की फीस ले ली, किताबें दिलवा दीं। अंग्रेजी माध्यम स्कूल अब तक जिस भवन में चल रहा था, वह भवन बीएड कॉलेज के सुपुर्द कर दिया।
अभिभावकों की मांग है कि इंग्लिश मीडियम स्कूल वापस पुराने वाले भवन में संचालित किया जाए। अंगे्रजी माध्यम स्कूल को पहले की तरह अलग से संचालित किया जाए। बच्चों को इंग्लिश फैकल्टी ही पढ़ाए। अभिभावक मंगलवार को इस सिलसिले में जिला कलक्टर व जिला शिक्षा अधिकारी से मामले की जांच कराने और पुलिस अधीक्षक से धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराकर स्कूल का रिकार्ड जब्त कराने व प्राचार्य को गिरफ्तार कराने की मांग करेंगे।

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