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बच्ची के हाथों का ‘चमत्कार’ देखने उमड़ रहा जनसैलाब

chahna
तालगांव में रविवार को नजर आता है मेले जैसा नजारा
आलमपुर। आलमपुर के समीप स्थित दतिया जिले के तालगांव की एक पांच वर्षीय बच्ची इन दिनों करीब 100 किमी के दायरे में चर्चा का विषय बनी हुई है। चर्चा होना भी स्वाभाविक है क्योंकि बच्ची के हाथों का ऐसा चमत्कार सुनने को मिल रहा है कि दर्द से पीडि़त लोगों के शरीर पर बच्ची हाथ रख दें तो लोगों के शरीर में कैसा भी दर्द हो आराम मिल जाता है। बच्ची के हाथों का इसी चमत्कार को देखने के लिए गांव में मेले जैसा हुजूम लग रहा है।
आलमपुर के समीप दतिया जिले की भाण्डेर तहसील के अंर्तगत आने वाले ग्राम तालगांव में एक पांच वर्षीय बच्ची (चाहना) इन दिनों चर्चा का केन्द्र बनी हुई है। जनचर्चा के आधार पर पता चला है कि किसी व्यक्ति के शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द रहता हो तो उक्त पांच वर्षीय बच्ची दर्द से पीडि़त व्यक्ति के शरीर पर हाथ रख दें या फिर नीम का झौंका फेर दें तो दर्द से पीडि़त व्यक्ति को सभी प्रकार के दर्द से राहत मिल जाता है। बताया जाता है कि तालगांव में पांच वर्षीय बच्ची के द्वारा दर्द से पीडि़त लोगों को ठीक करने का सिलसिला करीब सात आठ माह से चल रहा है। इस अजीब चमत्कार की चर्चा जैसे जैसे लोगों के बीच फैलती जा रही बैसे बैसे तालगांव में दर्द से पीडि़त लोगों का तांता लगता जा रहा है। कुछ लोग तो इस पांच वर्षीय बच्ची के हाथों के चमत्कार को देखने के लिए आते है। तो वहीं कुछ लोग दर्द से राहत पाने की उम्मीद लेकर तालगांव पहुंच रहे हैं। आलमपुर के समीप स्थित तालगांव में रविवार को मेले जैसा नजारा देखने को मिलता है। अत्याधिक भीड़ होने की वजह से परिवार के लोग उक्त बच्ची को अपनी पीठ पर लाद लेते हैं और बच्ची के हाथ में एक लम्बा नीम का झौका पकड़ा देते है। पीठ पर लदी बच्ची कतार में बैठे लोगों के शरीर पर झौका फेरती हुई आगे बड़ जाती है।
दिनोंदिन बदलती जा रही तालगांव की तस्वीर
लोगों के बीच चर्चा है कि अखिलेश कुशवाह के घर जन्मी इस पांच वर्षीय मासूम बच्ची (चाहना) के हाथों के करिश्मा के चलते तालगांव की तस्वीर दिन प्रति दिन बदलती जा रही है। तालगांव में दिन प्रति दिन उमड़ रही भीड़ को देखते हुए जहां ग्रामीणों द्वारा भीड़ को काबू करने के लिए जगह-जगह बेरीटेक लगाए गए हंै। तो वहीं नजदीकी थानों की पुलिस भी सुरक्षा व्यवस्था सम्हालती है। ग्रामीणजनों द्वारा लोगों को बैठने के लिए टेंट लगबा कर बिछात की व्यवस्था की जाती है। इतना ही नहीं रविवार को सैकड़ों मिठाई की दुकानें भी लगाने लगी हंै। शारीरिक दर्द से पीडि़त लोग शंकर जी के मन्दिर पर प्रसाद के साथ-साथ चढ़ोत्री भी चढ़ाते हैं।

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