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मोरारी बापू की रामकथा की लखनऊ में धूम,  भाव-विभोर हुए श्रद्धालु

 

लखनऊ।  राजधानी लखनऊ स्थित सेवा अस्पताल परिसर में चल रही रामकथा के तीसरे दिन प्रसिद्ध कथा वाचक मोरारी बापू की कथा सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गये। मोरारी बापू की रामकथा में बीच-बीच में नामी शायरों की शायरी और कविताओं की पंक्तियों का भी श्रद्धालुओं ने खूब लुत्फ उठाया।

मोरारी बापू ने कहा कि मूल को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। मूल को पकड़कर नए फूल खिलाने चाहिए। मूल से ही हमारी पंरपरा, सभ्यता, भारतीयता और वेद-पुराणों का गहरा नाता है। इसे बना रहना चाहिए। तभी हम राष्ट्र और अच्छे चरित्र का निर्माण कर सकते हैं। वही हमारी और हमारे समाज की पहचान है। कथा के बीच में बापू ने श्री राम जय राम जय जय राम और श्री राधे-श्री राधे कहकर भक्तों को राममगन कर दिया। श्रोता मोरारी बापू की कथा सुनकर उनके कायल हो गए। सभी ने तालियां बजाकर संत का पूरा साथ दिया।

संत शिरोमणि मोरारी बापू की श्रीरामकथा में भक्तों ने ज्ञान रूपी गंगा में डुबकी लगाई। उन्होंने अपने निराले अंदाज में बात साधू जगत की की, तो कभी पुरुष के प्रकार और शिव की महिमा को भी उन्होंने विस्तार से बताया। उन्होंने पुरुष के प्रकार और शिव की महिमा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जैसे कथा साधन नहीं साध्य है उसी प्रकार साधु भी साध्य है, साधन नहीं। साधु सुधारक नहीं स्वीकारक होता है, वह सभी कुछ स्वीकार करता है। मुझे उससे नजर मिलाने में भी डर लगता है।

उन्होंने वसीम बरेलवी के शेर को वह नजर नजर में जहन पढ़ लेता है, कहा तो श्रद्धालुओं ने तालियों से उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि साधक को चाहिए की वह पानी की तरह बन जाए। जेहि विधि प्रभु प्रसन्न मन होयी। करुणासागर लीजै सोयी। इस बात को उन्होंने राजी है हम उसी में जिसमें तेरी रजा हो। कहकर श्रोताओं को समझाया।

उन्होंने श्री राम चरित्रमानस के विभिन्न चरित्रों का वर्णन करते हुए कहा कि चरित्रों का मेला है श्री राम चरित्रमानस। शिव की महिमा अपरम्पार शिव की महिमा का गान करते हुए उन्होंने कहा कि राम गर्भगृह में प्रवेश करना है तो उसका द्वार शिव ही है। उन्होंने कहा कि कहा जाता है कि रामायण के जनक आदि कवि वाल्मीकि हैं लेकिन राम किंकर महाराज कहा करते थे कि शिव राम चरित्र मानस के अनादि कवि है। कथा साधन नहीं साध्य है उसी प्रकार साधु भी साध्य है, साधन नहीं।