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रामलला को ठंड से बचाने के लिए किए खास उपाय

अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर विराजमान भगवान रामलला को ठंड से बचाने के लिए समुचित उपाय किए जा रहे हैं।

श्रीरामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने रविवार को बताया कि भगवान रामलला बालरूप में विराजमान हैं और ठंड से उनको बचाने के लिए समुचित उपाय किए गए हैं। रामलला के दरबार में ब्लोअर लगाया गया है। भगवान को ऊनी वस्त्र, रजाई व कम्बल ओढ़ाया जा रहा है तो कहीं गर्भगृह में ब्लोअर के जरिये भगवान को ठंड से बचाने के उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि भगवान के भोग, श्रृंगार, आरती में भी विशेष सतर्कता बरती जा रही है।

मुख्य पुजारी ने बताया कि भगवान के जागरण व शयन कक्ष का समय भी मौसम के अनुरूप बदल गया है। ब्लोअर चौबीस घंटे भगवान रामलला के पास चलता है जिससे गर्भगृह गर्म रहे और भगवान को ठंड का एहसास न हो। उन्होंने बताया कि रामलला को सुबह पुष्प से स्नान कराया जा रहा है। साथ ही विशेष तरीके का राग, भोग भी दिया जा रहा है। रामलला में इत्र का लेप भी किया जाता है। मौसम के हिसाब से रामलला को भोग लगाया जाता है।

 

वर्ष 1992 के बाद से रामलला के परिसर में तमाम पाबंदियां थीं। रामलला की व्यवस्था केन्द्र सरकार के अधीन थी, जिसमें भगवान को ठंड से बचने के लिए मात्र कुछ गर्म कपड़े और रजाई ही एकमात्र साधन था। उन्होंने बताया कि त्रिपाल में बैठे रामलला को ठंड से बचाने के लिए समय-समय पर पुजारियों के द्वारा तत्कालीन रामजन्मभूमि के रिसीवर से संसाधनों की मांग की जाती थी, तब उसके बाद ठंड से बचने के उपाय रामलला को मिलता था।

उन्होंने बताया कि जबसे राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया है रामलला की व्यवस्थायें श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अधीन हो गया है। अब रामलला के भोग और रखरखाव की व्यवस्था पर पुजारियों ने संतोष व्यक्त किया है