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VIDEO : केदारनाथ धाम की यात्रा यूं करें प्लान, सितम्बर महीना सबसे सुटेबल

न्यूज नजर डॉट कॉम
ऋषिकेश। देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में से प्रमुख ज्योतिर्लिंग एवं मिनी चार धाम में प्रमुख धाम केदारनाथ की यात्रा दीपावली तक जारी है। चार धाम यात्रा का ऑफसीजन होने के कारण सितम्बर महीने में यहां की यात्रा करना सबसे ज्यादा सुटेबल माना जा सकता है। तो देर किस बात की है, बनाइए यात्रा का प्लान, हम आपको केदारनाथ यात्रा का रूट बता रहे हैं-

पहले पहुंचिए हरिद्वार

हरिद्वार को चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार कहा जाता है। आप हरिद्वार या फिर सीधे ही ऋषिकेश भी पहुंच सकते हैं। हरिद्वार रेलवे स्टेशन के सामने सौ कदम चलने पर चार धाम यात्रा रजिस्ट्रेशन काउंटर स्थित है, जहां अपना आधार कार्ड दिखाकर फ्री बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन करा लीजिए। आप चाहें तो ऋषिकेश में बस स्टैंड पर स्थित रजिस्ट्रेशन काउंटर पर भी पंजीयन करा सकते हैं, लेकिन वहां भीड़ रहती है। हरिद्वार में बिल्कुल आसानी से रजिस्ट्रेशन हो जाता है। आते या जाते समय आप हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा स्नान व गंगा आरती का आनन्द भी उठा सकते ह

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बस बुकिंग ऋषिकेश में

हरिद्वार से आपको ऋषिकेश आना होगा। यहां सामान्य बस स्टैंड के पास ही चार धाम यात्रा का बस स्टैंड स्थित है, जहां से आप अगले दिन सुबह की टिकट बुक करा सकते हैं। केदारनाथ के लिए सोनप्रयाग का टिकट बुक कीजिए। प्रति यात्री ऋषिकेश से सोनप्रयाग का बस किराया 300 रुपए है।

यहां ठहर सकते हैं

चार धाम यात्रा बस स्टैंड पर ही उत्तराखंड पर्यटन विभाग का अतिथि गृह बना हुआ है। यहां आपको 600-800 रुपए में अच्छा कमरा मिल जाएगा। कमरे में कुछ देर विश्राम के बाद आप ऋषिकेश घूमने निकल सकते हैं। राम झूला, लक्ष्मण झूला, त्रिवेणी घाट पर गंगा स्नान और शाम को गंगा आरती आदि का आनंद उठाइए और रात में कमरे में आकर सो जाइए।

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अलसुबह यात्रा प्रारम्भ : सोनप्रयाग

ऋषिकेश चार धाम बस स्टैंड से सुबह 4 बजे से चार धाम के लिए बसें रवाना होने लगती हैं। आप सोनप्रयाग जाने वाली अपनी बस में सवार हो जाइए। शाम होते-होते आप सोनप्रयाग पहुंच जाएंगे। वहां उतरकर कमरा या डोरमेट्री बुक कर लीजिए और खाना खाकर सो जाइए।

पैदल यात्रा गौरीकुंड से

सोनप्रयाग में सुबह 3-4 बजे जागकर टैक्सी पकड़कर गौरीकुंड पहुंचिए। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच लोकल जीपें ही संचालित होती हैं। दोनों के बीच की दूरी 5 किलोमीटर है और किराया 20 रुपए प्रति यात्री है। गौरीकुंड से ही 18 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई शुरू होती है।

बेहद कठिन चढ़ाई

गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच 4 पड़ाव हैं। इनमें रामबाड़ा बिल्कुल सेंटर में है। रामबाड़ा तक ठीकठाक चढ़ाई है, लेकिन उसके बाद अत्यधिक खड़ी चढ़ाई शुरू होती है। आप स्वस्थ हैं तो बीच-बीच में आराम करते हुए शाम 7 बजे से लेकर रात 8, 9, 10 बजे तक केदारनाथ धाम पहुंच जाएंगे।

एक रात धाम पर बिताइए

केदारनाथ बेस कैम्प से मंदिर की दूरी 500 मीटर है। आप चाहें तो बेस कैम्प में जीएमवीएन के टेंट या कॉटेज बुकिंग करा सकते हैं, या फिर सीधे ही धाम तक पहुंच जाइए। वहां पर्याप्त धर्मशाला एवं गेस्ट हाउस हैं। ऑफसीजन की वजह से 800 से 1000 रुपए में कमरा आसानी से मिल जाएगा। आप पुरोहितों के यहां भी ठहर सकते हैं। पुरोहित अपने मेहमानों को घर का भोजन कराने से लेकर पूजा भी कराते हैं। उनकी कोई डिमांड नहीं होती। सुबह पूजा के बाद आपकी जो श्रद्धा हो, 2100, 3100 या 5100 रुपए पुरोहित को भेंट दे सकते हैं। सामान कमरे में रखकर सीधे मंदिर पहुंचिए। रात्रि में मंदिर के दर्शन करते ही आपकी सारी थकान छू मंतर हो जाएगी।

अलसुबह कीजिए केदारेश्वर दर्शन

सुबह 4-5 बजे आप तैयार होकर जैसे ही कमरे से बाहर निकलेंगे, सामने हिमालय पर्वत पर जमी चांदी जैसी चमकती बर्फ और उसकी गोद में स्थित केदारनाथ मंदिर देख असीम आनन्द महसूस करेंगे। इन दिनों भीड़ ज्यादा नहीं होने से आधा घन्टा में आपका नम्बर आ जाएगा।
पुरोहित से दक्षिणा राशि तय कर उनके जरिए पूजा कर सकते हैं, या फिर स्वयं ही पूजा दर्शन कर सकते हैं। मंदिर पर आराम से 2-3 घण्टे बिताइए। आदि शंकराचार्य की समाधि, चमत्कारी दिव्य भीम शिला आदि के दर्शन कीजिए। आदिदेव महादेव की भक्ति में खो जाइए।

उतरते समय बरतें ज्यादा सावधानी

सुबह 8 बजे बाद आप पुनः नीचे उतरना शुरू कर सकते हैं। केदारनाथ से रामबाड़ा तक खड़ी चढ़ाई की वजह से उतरना भी सावधानी से चाहिए।
शाम तक आप नीचे गौरीकुंड पहुंचेंगे। वहां से फिर 20 रुपए सवारी वाली टैक्सी जीप पकड़कर सोनप्रयाग आ जाइये। वहां अगली सुबह की बस से बद्रीनाथ धाम या फिर ऋषिकेश की टिकट बुक करा लीजिए। आपको रात सोनप्रयाग में ही बितानी होगी। अगली सुबह अगर आप ऋषिकेश लौटते हैं तो बस आपको शाम तक पहुंचा देगी।

घोड़े, खच्चर, पालकी, कंडी

केदारनाथ की पैदल चढ़ाई बेहद कठिन है। वैष्णोदेवी की चढ़ाई से दोगुनी थकान होती है। इसलिए मानसिक रूप से तैयार रहिए। आप चाहें तो सोनप्रयाग या गौरीकुंड से घोड़े, खच्चर, पालकी, कंडी आदि बुक कर सकते हैं। इनका किराया 2500 से 8000 तक है। मन में श्रद्धा, हिम्मत और आत्मविश्वास है तो आप पैदल ही चढ़ाई कीजिए। मार्ग में जगह-जगह पानी, शौचालय की निशुल्क व्यवस्था है। चाय नाश्ते की दुकानें भी हैं। पूरे रास्ते बीसियों विशाल झरने, नीचे बहती मंदाकिनी नदी, ऊपर आते-जाते बादल, कुछ पहाड़ों पर जमी बर्फ, इन सबका आनन्द आप पैदल यात्रा में ही उठा सकते हैं। हां, अगर कोई अत्यधिक थक जाए या फिर चोट आदि के कारण चलने में असमर्थ हो तो घोड़े, खच्चर, पालकी, कंडी आदि तुरन्त कर लें।

ये खास बातें

 
-ऋषिकेश से चारों धामों के मार्ग में सड़क चौड़ाई करण का काम चल रहा है। जगह-जगह रास्ते टूटे हैं। धूल मिट्टी और जाम लगने की समस्या है।
-रास्ते में कहीं भी, कभी भी लैंड स्लाइड हो सकती है और आप रास्ते में फंस सकते हैं।
-बारिश की वजह से रास्ते में कई जगह कीचड़ मिलेगा। इसमें छोटी कारें फंस सकती हैं।
-सोनप्रयाग से आपको ठंड का अहसास होगा। पैदल चढ़ाई के दौरान बारिश भी होती है, इसलिए पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े, टॉर्च, दर्द निवारक दवा, रेनकोट आदि लेकर जाएं।
-अपने यात्रा प्लान में दो दिन एक्स्ट्रा लेकर चलें। ऋषिकेश से केदारनाथ तक आपको 5 रातें बाहर रुकनी हैं। पहली रात ऋषिकेश में, दूसरी सोनप्रयाग में, तीसरी केदारनाथ में, चौथी पुनः सोनप्रयाग में और पांचवीं पुनः ऋषिकेश में। अगर कहीं रास्ता बंद हुआ और आप फंस गए तो एक्स्ट्रा दिन लग सकता है।
-पहाड़ों पर हर वस्तु के दाम दोगुने होते हैं, क्योंकि हर सामान नीचे से ही ऊपर ले जाया जाता है। सोनप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक भोजन की थाली लगभग 150 से 200 रुपए में मिलती है। रास्ते एवं चढ़ाई के दौरान हल्का-फुल्का नाश्ता करें जो आप अपने साथ घर से ही लेकर चल सकते हैं।
-पूरे रास्ते आपको कुदरत का खजाना मिलेगा। ऋषिकेश से देवप्रयाग तक रास्ते के सहारे गंगा नदी आपके साथ होगी। देवप्रयाग में भागीरथी और अलखनंदा नदी का संगम देखिए। इसके बाद रुद्रप्रयाग से पहले अलखनंदा नदी के बीचोबीच स्थित मां धारी देवी मंदिर के दर्शन कीजिए। रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी नदी और अलखनंदा नदी का संगम देखिए। ये संगम बीच रास्ते से ही दिखाई देते हैं। अपनी बस या कार रोकिए और दर्शन कीजिए।
देव प्रयाग में अलखनंदा और भागीरथी नदी का संगम।

 

रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी और अलखनंदा का संगम।

 

पहाड़ों की रक्षक मां धारी देवी मंदिर।
-अगर आप हरिद्वार या ऋषिकेश से बस की बजाय टैक्सी बुक करते हैं तो सावधानी बरतें। टैक्सी चालक 3 दिन में एक धाम का आने-जाने का ट्यूर कराने की बात कहते हैं। यहां 3 दिन का मतलब 72 घण्टे नहीं है बल्कि दिन का मतलब सिर्फ उजाले (डे) से है। टैक्सी चालक दिन-दिन में टैक्सी चलाएगा। ऐसे में वह लौटने पर आपसे चार दिन के पैसे चार्ज करेगा। अगर आप घोड़े-खच्चर से चढ़ाई कर उसी शाम को वापस गौरीकुंड-सोनप्रयाग लौट आते हैं तो टैक्सी वाले को 3 दिन के ही पैसे देने होंगे। अगर आप 1 रात ऊपर केदारनाथ में रुकते हैं और अगले दिन शाम तक गौरीकुंड लौटते हैं तो टैक्सी चालक 4 दिन के पैसे चार्ज करेगा।
-किसी कारणवश आप जाते समय रात तक सोनप्रयाग तक नहीं पहुंच पाते हैं तो उससे पहले सीतापुर, रामपुर या फाटा में भी रात रुक सकते हैं। सोनप्रयाग के मुकाबले यहां रुकना-भोजन करना कुछ सस्ता है। अगली सुबह आप सोनप्रयाग पहुंच सकते हैं।

कहां से कितनी दूरी

 

बद्रीनाथ और केदारनाथ की दूरी

हरिद्वार से केदारनाथ 269 किलोमीटर है. हरिद्वार से ऋषिकेश 24 किलोमीटर, ऋषिकेश से शिवपुरी 13 किलोमीटर, शिवपुरी से ब्यासी 4 किलोमीटर, ब्यासी से कौड़ियाला 17 किलोमीटर, कौड़ियाला से देव प्रयाग 36 किलोमीटर, देव प्रयाग से श्रीनगर 38 किलोमीटर, श्रीनगर से कैला सौर 10 किलोमीटर, कैला सौर से रुद्रप्रयाग 35 किलोमीटर, रुद्रप्रयाग से टिलवारा 9 किलोमीटर, टिलवारा से अगस्त मुनि 9 किलोमीटर, अगस्त मुनि से कुंड 19 किलोमीटर, कुंड से गुप्त काशी 8 किलोमीटर, गुप्त काशी से सोन प्रयाग 28 किलोमीटर, सोन प्रयाग से गौरिकुण्ड 5 किलोमीटर, गौरी कुंड से रामबाड़ा की चढ़ाई 8 किलोमीटर, रामबाड़ा से केदारनाथ 8 किलोमीटर कुल दूरी 269 किलोमीटर है।

केदारनाथ धाम 11824 फिट की उँचाई पर है। गौरी कुंड 6500 फिट की उँचाई पर है. लगभग 5000 फिट की उँचाई 18 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ कर पूरी करनी होती है.

केदारनाथ से गोपेश्वर होकर बद्रीनाथ 230 किलोमीटर है।

हरिद्वार से बद्रीनाथ धाम की दूरी 302 किलोमीटर है।

हरिद्वार से ऋषिकेश 24 किलोमीटर, ऋषिकेश से शिवपुरी 13 किलोमीटर, शिवपुरी से ब्यासी 4 किलोमीटर, ब्यासी से कौड़ियाला 17 किलोमीटर, कौड़ियाला से देव प्रयाग 36 किलोमीटर, देव प्रयाग से श्रीनगर 38 किलोमीटर, श्रीनगर से कैला सौर 10 किलोमीटर, कैला सौर से रुद्रप्रयाग 35 किलोमीटर, रुद्रप्रयाग से गौचर 10 किलोमीटर, गौचर से कर्णपरयाग 10 किलोमीटर, कर्णपरयाग से नंद प्रयाग 21 किलोमीटर, नण्द्प्रयाग से चमोली 10 किलोमीटर, चमोली से पीपलकोटि 17 किलोमीटर, पीपलकोटि से जोशिमठ 13 किलोमीटर, जोशिमठ से विष्णुपरयाग 12 किलोमीटर, विष्णु प्रयाग से गोविंद घाट 7 किलोमीटर, गोविंद घाट से पांदुकेश्वर 2 किलोमीटर, पांदुकेश्वर से बद्रीनाथ 23 किलोमीटर है। बद्रीनाथ धाम 11204 फिट की उँचाई पर है।