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मध्य प्रदेश के सीहोर मे 5 दिन मनाई जाती है होली

सीहोर। मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में रंग पर्व होली मनाने का सिलसिला एक दो नहीं बल्कि पूरे पांच दिनों तक चलता है। होलिका दहन से आरंभ होने वाले उल्लास-भाईचारे और मस्ती से सराबोर पर्व को लेकर तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई है।
धुलेंड़ी से शुरू होने वाला रंग बरसने का सिलसिला रंगपंचमी तक जारी रहेगा। जिले में नबाबी शासन काल से चली आ रही परम्परा आज भी कायम है।
रंग-बिरंगे रंगों से रंगे हुए चेहरे अब शहर सहित जिलेभर में नजर आने लगेंगे। अनेक लोगों ने इस रंगारंग त्यौहार को लेकर आवश्यक खरीददारी का कार्य चल रहा हैं बड़ों ने जहां रंग-गुलाल क्रय कर लिया है, वहीं युवाओं में सबसे ज्यादा जोश और उत्साह का संचार है। छोटे-छोटे बच्चे भी पिचकारी के माध्यम से अपने दोस्तों को रंगने की तैयारी कर चुके हैं। प्रमुख चैराहों पर होली को लेकर इस साल जोरदार तैयारी की जाएंगी

पहला दिन
होलिका दहन के बाद धुलेंडी पर रंग तो होता है, लेकिन शहर में इस दिन परम्परागत रूप से गैर भी निकलती है और गमी की होली मानकर लोग उन घरों पर जाते हैं, जिनके यहां गमी हुई हो। अलसुबह अनेक लोग होलिका दहन स्थल पर जाकर पूजा-अर्चना भी करते हैं। छोटे बच्चों को भी होलिका दहन स्थल पर ले जाया जाता है।
दूसरा दिन
इस दिन दूज को शहर में जमकर रंग बरसता है। बताया जाता है कि इस दिन जिले में ओर कहीं इतना रंग नहीं होता। इसलिए बाहर से आने वाले लोग कई बार धोखा खा जाते।

अच्छे वस्त्र पहनकर भी इस दिन आ जाते मगर हुलियारों से बच नहीं पाते। इस दिन घरों-घर विशेष पूजा अर्चना भी होती है, लोग कुल देवी-देवता को पूजते हैं। बताया गया है कि इस दिन भोपाल नबाब हमीदउल्लाह खान सीहोर आते थे। पुरानी कलेक्ट्रेट में पोलीटिकल आफिस था, वहां तथा पुरानी निजामत, ब्राह्मणपुरा और बारादारी में वह उपस्थित रहते थे। होलियारे छोटी छोटी टोलिया बनाकर होली गायन करते हुए बजार में निकलते है ओर होली का मजा लेते है।
तीसरा दिन
इस दिन नबाब आष्टा पहुंचते थे और वहां बुधवारे में बैठते थे। पुराना नपाध्यक्ष भवन जहां अब चैराहा तथा किले पर जमकर होली खेलकर गुलाल लगाते थे ।
चौथा दिन
रंग पर्व के चैथे दिन नबाब जावर पहुंचते थे। वहां पर पूरे उल्लास के साथ पर्व मनाया जाता था।
पांचवां दिन
होली पर्व का पांचवां दिन रंग पंचमी पूरे जिले में उल्लास से मनाया जाता है। इस प्रकार शहर सहित जिलेभर में पूरे पांच दिन रंग बरसता है।
इछावर में अलग स्थिति
जिले में भी भले ही नबाबी होली की परम्परा आज भी कायम हो लेकिन इछावर इससे शुरू से ही अछूता रहा है। यहां फ्रांसिसि शासन था, जिसमें नेपोलियन बोनापार्ट का भतिजा शासक के रूप में वहां रहता था, इस कारण यहां न तो अंग्रेजी हुकूमत की चलती थी और ही नबाबी शासन की परम्परा यहां कायम है। यहां होली का पर्व वर्षों से मनाया जा रहा है।

मेले में जुटेंगे हजारों लोग
जिले के जावर के नजदीक स्थित अवंतिपुर बड़ोदिया में होली के अवसर पर बाबा गरीबदास का मेला भराता है। जिले में लगने वाली जत्रा और मेलों में इस मेले का अपने आप में विशेष महत्व है। कहा जाता है कि बाबा यहां भौंरा बनकर आते हैं। इसलिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में जुटते हैं, इसी दौरान एक दूसरे को रंगने से भी नहीं चूकते।