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ये हैं 200 से अधिक बच्‍चों के मानस पिता


अजीत सक्‍सेना आज 200 से अधिक बच्‍चों के मानस पिता हैं। जिनमे से ज्‍यादातर लड़किया हैं। एक हादसे ने अजीत को इनकी मदद करने के लिए मजबूर कर दिया। अजीत किसानों की आत्‍महत्‍या को रोकने का निरंतर प्रयास करते रहते हैं। वह उनके बच्‍चों को अच्‍छी शिक्षा व्‍यवस्‍था के लिए फंड एकत्र करते हैं। वर्तमान में अजीत 200 से अधिक बच्‍चों के पिता हैं। उन्‍हें इस बात से बहुत खुशी हैं कि उन्‍होंने इन बच्‍चों के लिए कुछ किया जो जीने की आशा भी खो चुके थे।

किसान की आत्‍महत्‍या करने के बाद अजीत ने लिया फैसला
सन 2008 में महाराष्‍ट्र के विदर्भ प्रांत में एक किसान ने आत्‍म हत्‍या कर ली थी। किसान के परिवार में उसकी पत्‍नी एक बेटा चार बेटियां और एक बूड़ा था। उस समय सबसे बड़ी बेटी दीपा की उम्र 14 सपना 11 और स्‍वाती 7 साल की थी।  उनका परिवार पूरी तरह से हिल गया था। उनके पास उनके भविष्‍य के लिए कोई आशा नहीं बची थी कोई सपना नहीं बचा था। लेकिन उसके बाद जो हुआ वह उन्‍होंने कभी सोचा भी नहीं था। इस समय दीपा 22 साल की हो गई है। नर्सिंग में डिपलोमा करने के बाद वह अब एक अस्‍पताल में कार्यरत है। सपाना ने हाल ही में नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की है। वहीं स्‍वाती बैंगलुरु से योगा एजुकेशन में बीएससी कर रही है। वह तीनों शिक्षित हैं आत्‍मविश्‍वास से परिपूर्ण हैं और अपने भविष्‍य के लिए उन्‍हें क्‍या प्‍लानिंग करनी है उसके लिए सक्षम हैं। एक इंसान ने उनके लिए यह सब मुमकिन किया और वो शख्‍स है अजीत सक्‍सेना। एक व्‍यक्ति जिसने इन तीन लडि़कयों सहित क्षेत्र के 200 बच्‍चों को बताया कि वह क्‍या हैं और उन्‍हें अपने पैरों पर खड़ा किया।

रेलवे में चीफ कॉमर्शियल मैनेजर के पद पर तैनात हैं अजीत
अजीत इस समय साउथर्न रेलवे में चीफ कॉमर्शियल मैनेजर के पद पर चेन्‍नई में तैनात हैं। उन्‍होंने ने आत्‍महत्‍या करने वाले किसानों और उनके परिवारों की मदद करने के लिए अपना नया सफर शुरु किया। उन्‍होंने उन किसानों को आत्‍म‍हत्‍या करने से रोका जिनकी खबरें आजकल न्‍यूज में दिखाई देतीं हैं। अजीत को इन बातों ने अंदर तक झकझोर कर रख दिया। उन्‍होंने अपने सामने दो विकल्‍प रखे। पहला की न्‍यूज देख कर घर जाओ और सॉरी महसूस करो या फिर उठो और कुछ ऐसा करो जो इन्‍हें मजबूत बनाए। उन्‍होंने बाद वाले को चुना। उन्‍होंने अपने काम से 10 दिन की छुट्टी ली और विदर्भ चले आए। उन्‍होंने उन तीन लडकियों की मदद के साथ शुरुआत की इस के बाद सर्वोदया मूमेंट के सेवाग्राम गांव में कुछ सहायकों के साथ वह 15 गांवो के 29 किसान परिवारों से मिले।

बच्‍चों के भविष्‍य को लेकर काफी सचेत हैं अजीत
अजीत रोटरी क्‍लब में धार्मिक चीजों पर बोलते हैं। कुछ दिन बाद वो लौट आए और उन्‍होंने श्रोताओं को बताया कि वह किस खतरनाक स्थिती का सामना करके आए हैं। अजीत किसानों की मदद करने के लिए कुछ करना चाहते थे। इसके बाद उन्‍हें ने एक खबर सुनी कि एक और किसान ने आत्‍महत्‍या कर ली है। उस किसान की बेटी कक्षा 11 की छात्रा थी। किसान ने अपनी बेटी की शिक्षा को सुचारु रुप से चलाने के लिए कुछ लोन ले रखे थे। अचानक उस लड़की के सभी सपने टूट गए।

अजीत ने बच्‍चों के लिए गांव में एक बैंक खाता खोला है
अजीत बच्‍चों की मदद करने के लिए गांवो में बैंक अकाउंट खोल जिसमें लोग कुछ पैसे डाल कर बच्‍चों की हैल्‍प कर सकें। अजीत का एक दोस्‍ता 15 बच्‍चों की शिक्षा के लिए उन्‍हें स्‍पॉनसर करने के लिए तैयार हो गया। कुछ और लोग भी तीन चार बच्‍चों की पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए तैयार हो गए। कक्षा पांच तक पढ़ने वाले बच्‍चों के लिए 250 रूपये की राशि तय की गई। कक्षा 6 से 9 तक के बच्‍चों के लिए 400 रूपये फीस तय की गई। कक्षा 9 से 12 तक के लिए 500 रूपये फीस तय की गई। जिस व्‍यक्ति ने भी बच्‍चों की शिक्षा के लिए रूपये देने की बात कहीं उन्‍हें सीधे बच्‍चों के खाते में रूपये डालने के लिए कहा गया। अजीत ने कहा कि मै जनाता हूं कि 6 से 14 साल के बच्‍चों के लिए शिक्षा पहले से मुफ्त हैं। पर यह पैसा उन बच्‍चों के परिवारों के लिए था ताकि वह बच्‍चों को लेबरी करने के लिए ना भेजें।

अजीत से मिलने के बाद इनमें जागी जीने की इच्‍छा
दो महीनों के अंदर एक रजनी नाम की लड़की ने अजीत को फोन किया और कहा कि आप से मिलने के बाद मैरे अंदर आशा जागी है कि मै अपने जीवन में कुछ कर सकती हूं। रजनी ने कहा कि मै नर्सिंग के कोर्स करना चाहती हूं और इस समय मै अमरावती जाने वाली बस में बैठी हूं। रजनी ने बताया कि उसके कोर्स की फीस 2 लाख रूपये हैं। जब उसने अजीत को इसकी सूचना दी तब अजीत ने सिर्फ इतना पूछा क्‍या वह किसी और कॉलेज में पढ़ना चाहती है तब उन्‍होंने चेन्‍नई के एक नर्सिंग स्‍कूल में उसके लिए बात की। वह मान गए और उसे कॉलेज में एडमीशन देने के लिए तैयार हो गए। उन्‍होंने अजीत से कहा कि वह फीस कुछ दिनों बाद भी जमा कर सकते हैं।

शरणागत फाउंडेशन चलाते हैं अजीत करते हैं शिक्षा में मदद
रजनी अपने गांव की पहली लड़की थी जो पढ़ने के लिए गांव से बाहर निकली और अपनी शिक्षा पूरी की। बच्‍चों की शिक्षा के लिए अजीत अपने दोस्‍तों को अपने चाहने वालों को कुछ संस्‍थाओं को स्‍पानसर करने के लिए लिखते हैं। उन्‍होंने एक ट्रस्‍ट भी खोला है जिसका नाम शरणागत फाउंडेशन है। यह नागपुर में है। अजीत हर तीन महिने में एक बार सेवाग्राम जरूर जात हैं। वह वहां दो दिनों तक रुकते भी हैं। अजीत इस बात की तसल्‍ली करना चाहते हैं कि बच्‍चों को उनके पैसे मिल रहे हैं या नहीं और उन पैसे का उनके परिवार और रिश्‍ते दारों द्वारा गलत प्रयोग तो नहीं हो रहा है। आज 200 से अधिक बच्‍चे जिसमें ज्‍यादातर लड़कियां है अजीत सक्‍सेना के बच्‍चों के नाम से जानी जाती हैं। तीन लड़कियां टीचर ट्रेनिंग कोर्स के लिए लातूर रवाना हो गई हैं। 10 लड़कियां नर्सिंग का कोर्स कर रहीं है। चार लड़कियां बेंगलुरु से योगा एजुकेशन में बीएससी कर रहीं हैं।