News NAZAR Hindi News

सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन  चिश्ती की दरगाह महकी

 
अजमेर। सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन
 चिश्ती के उर्स में गुरुवार को छठी के कुल की रस्म अदा की गई। जायरीन ने आस्ताना की
दीवारों को गुलाब व केवड़ा जल सहित इत्र से धोकर पूरी दरगाह को महका दिया। इसी के साथ उर्स का अनौपचारिक समापन हो गया। हालांकि शुक्रवार को जुमे की नमाज में शामिल होने के लिए बड़ी तादाद में जायरीन रुके हुए हैं। उधर, जन्नती दरवाजा भी बंद कर दिया गया है।

 देखें वीडियो

दरगाह में कल रात से ही कुल के छींटे लगाने की रस्म शुरू कर दी गई। ख्वाजा साहब के उर्स में आए अकीदतमंद ने ख्वाजा साहब की मजार को गुसल देने की परम्परा में भागीदार बनने के लिए बुधवार की रात आठ बजे जैसे ही आस्ताना में खिदमत शुरू हुई, आस्ताना की बाहरी दीवारों को केवड़ा-गुलाब जल व इत्र से धोना शुरू कर दिया। देर रात तक जायरीन कुल के छींटे लगाते रहे। कई जायरीन इस पानी को बोतलों में भरकर पवित्र जल के रूप में अपने साथ ले गए। जायरीन इस परम्परा को कुल के छींटे
लगाना कहते हैं, जबकि खादिम इसे जायरीन की
 आस्था प्रकट करने का एक तरीका बताते हैं। उनका
कहना है कि रजब माह की नौ तारीख की सुबह
पूरी दरगाह को धोने की रस्म अदा की जाती है।
इसके बाद ही उर्स के समापन का ऐलान होता है।
अंतिम महफिल व गुसल हुआ ।
ख्वाजा साहब के 807वें उर्स की अंतिम महफिल
बुधवार की रात दरगाह के महफिल खाना में
सज्जादानशीन दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन
की सदारत में हुई। दरगाह की शाही चौकी के
कव्वालों सहित देश-विदेश के कव्वालों ने ख्वाजा
साहब की शान में सूफियाना कलाम पेश किए।
उर्स की अंतिम महफिल में कव्वाली सुनने के लिए
विभिन्न खानकाहों के सज्जादानशीन मौजूद थे।
इसी तरह रात दो बजे ख्वाजा साहब की मजार
को अंतिम गुसल देने की रस्म अदा की।