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घर में भूलकर भी इस जगह न लगाएं मृतक पूर्वजों के चित्र


धर्म हमारी प्राण वायु है। श्रद्धा-भक्ति हमारे जीवन का आधार है। यही वजह है कि ज्यादातर हिन्दू घरों में अलग से पूजा स्थल या छोटा मंदिर अवश्य होता है। इन पूजा स्थल को लेकर वास्तु और धर्मशास्त्रों के अनुसार कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए। प्रमुख रूप से निम्न बातों का अवश्य ध्यान रखें-

घर के मंदिर में मृतकों और पूर्वजों के चित्र नहीं लगाना चाहिए। पूर्वजों के चित्र लगाने के लिए दक्षिण दिशा श्रेष्ठ है। घर में दक्षिण दिशा की दीवार पर मृतकों के चित्र लगाए जा सकते हैं, लेकिन मंदिर में नहीं रखना चाहिए।

घर के मंदिर में गणेश जी की 3 प्रतिमाएं नहीं होनी चाहिए। घर में गणपति की 3 प्रतिमाएं रखना वर्जित है।

आप अपने घर के मंदिर में पूजा करने के लिए शंख रखते हैं तो ध्यान दीजिए। घर में दो शंख नहीं होने चाहिए। अगर मंदिर में दो शंख है तो आप उनमे से एक शंख हटा दें।

घर के मंदिर में ज्यादा बड़ी मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। यदि हम मंदिर में शिवलिंग रखना चाहते हैं तो शिवलिंग हमारे अंगूठे के आकार से बड़ा नहीं होना चाहिए। शिवलिंग बहुत संवेदनशील होता है और इसी वजह से घर के मंदिर में छोटा-सा शिवलिंग रखना शुभ होता है।

शास्त्रों के अनुसार खंडित मूर्तियों की पूजा वर्जित है। जो भी मूर्ति खंडित हो जाती है, उसे पूजा के स्थल से हटा देना चाहिए और किसी पवित्र बहती नदी या जलाशय में प्रवाहित कर देना चाहिए। खंडित मूर्तियों की पूजा अशुभ मानी गई है।
पूजन में कभी भी खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए। घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती उपयोग किया जाना चाहिए। जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती श्रेष्ठ बताई गई है। पूजन करते वक्त ये भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि पूजा के बीच में दीपक बुझना नहीं चाहिए। ऐसा होने पर पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है।
पूजा के मंदिर देवी-देवताओं को हार-फूल, पत्तियां आदि कभी भी बिना धोएं अर्पित ना करें। ये चीजें अर्पित करने से पहले एक बार साफ पानी से अवश्य धो लेना चाहिए।

घर में पूजन स्थल के ऊपर कोई कबाड़ या भारी चीज न रखें। भगवान का मंदिर ऊपर से खाली होना चाहिए, साथ ही मंदिर पर गुंबद होना चाहिए।

 

घर में जिस स्थान पर मंदिर है, वहां चमड़े से बनी चीजें, जूते-चप्पल नहीं ले जाना चाहिए।