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देशभर में पेट्रोल डीजल की कृत्रिम किल्लत, रिलायंस और नायरा ने बिगाड़े हालात

सन्तोष खाचरियावास

अजमेर। क्रूड ऑयल के बढ़ते दामों के बीच देशभर के पेट्रोल पम्पों पर पेट्रोल डीजल की कृत्रिम किल्लत पैदा कर दी गई है। सिर्फ मुनाफाखोरी के लिए सरकारी और निजी तेल कम्पनियों ने हालात असामान्य कर रखे हैं। IOCL को छोड़कर HPCL और BPCL ने स्टॉक भरपूर होने के बावजूद अपने पम्पों पर सप्लाई की राशनिंग कर दी है जबकि निजी कम्पनियों रिलायंस और नायरा ने अपने पम्पों पर सप्लाई ही बंद कर दी है। वर्तमान में बाजार में पेट्रोल डीजल की किल्लत के लिए रिलायंस और नायरा की मुनाफाखोरी को बहुत बड़ा जिम्मेदार माना जा रहा है।
 
दरअसल, विगत दिनों देश में पेट्रोल डीजल की कीमतों में जबरदस्त उछाल के बाद मोदी सरकार को अपना भविष्य खतरे में नजर आने लगा। इस पर सरकार ने दोनों तेल पदार्थों पर एक्साइज ड्यूटी कम कर जनता को राहत पहुंचाने की कोशिश की। साथ ही सरकारी तेल कम्पनियों पर भी दाम नहीं बढ़ाने का दबाव बना रखा है। 
उधर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से तेल कम्पनियों को वर्तमान दरों पर पेट्रोल डीजल बेचने में घाटा होने लगा। इससे बचने के लिए निजी कम्पनियों ने खुले बाजार में पेट्रोल डीजल बेचने से ही कन्नी काट ली है। यही वजह है कि कई राज्यों में रिलायंस और एस्सार नायरा के पम्प बंद पड़े हैं। जबकि सरकारी तेल कम्पनियों ने राशनिंग शुरू कर दी है। लोग अपने वाहनों में तेल भरवाने के लिए भटकने लगे हैं, इसके बावजूद मोदी सरकार तेल कम्पनियों को नियमित सप्लाई के लिए बाध्य नहीं कर पा रही है।
 

ये हैं हालात

राजस्थान में HPCL और BPCL के पेट्रोल पम्प संचालक विगत कई दिनों से टर्मिनल से पर्याप्त सप्लाई नहीं मिलने से परेशान होकर आंदोलन का बिगुल बजा चुके हैं। हिमाचल में कई पम्प ड्राई हो चुके हैं। मेरठ और वाराणसी के कई पेट्रोल पंपों का गला भी सोमवार से ही सूखने लगा था। मंगलवार को ऐसे पेट्रोल पंपों की संख्या बढ़ गई। दोपहर से कई पंपों पर लोगों को पूरी डिमांड से आधा तेल ही दिया जाने लगा। इससे दो दिन पंप बंद रहने की अफवाह भी उड़ी। रात तक कई तेल कंपनियों के पेट्रोल पंपों से लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ा। डीजल-पेट्रोल के लिए लोग पंपों पर स्टाफ से भिड़ते दिखे। कुछ पंप संचालकों ने हालात भांपते हुए निर्धारित समय से पहले पंप बंद कर दिए।

वाराणसी शहर में निजी पेट्रोल पंप सोमवार को ड्राई हो गए। रिलायंस और एस्सार के पेट्रोल पंपों पर दोपहर बाद से पेट्रोल खत्म होने लगे। जिसके बाद शाम तक दोनो कंपनियों पर ग्राहकों को लौटाया जाने लगा। निजी पेट्रोल पंपों पर कुछ दिनों से जरूरत के अनुसार 50 से 60 फीसदी तेल ही पहुंच रहा है। बनारस में दोनो कंपनियों के सात पेट्रोल पंप हैं। वहीं इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के पंप सोमवार को तो सामान्य रूप से संचालित हुए लेकिन मंगलवार को कई पेट्रोल पंप सूखने लगे। इसके बाद भी अधिकारी किसी संकट से इनकार करते रहे।

मेरठ में निजी कंपनी रिलायंस और नायरा के अधिकांश पेट्रोल पंप बंद हो गए हैं। पंपों पर नोटिस भी लगा दिए गए हैं। इसमें लिखा गया है कि कंपनी की ओर से सप्लाई न आने के कारण पंप बंद किए हैं। सप्लाई आने पर फिर से पंप शुरू होंगे। नायरा के दर्जनभर और रिलायंस के पांच पंप शहर में हैं।

पेट्रोल पंप मालिकों के मुताबिक निजी कंपनी के पंप बंद होने से सरकारी कंपनियों पर भार बढ़ गया, जिस कारण डीजल-पेट्रोल की किल्लत गहरा गई। रिलायंस व नायरा की ओर से पेट्रोल पर पांच व डीजल पर तीन रुपए का इजाफा किया गया है, जिसके बाद से आपूर्ति लड़खड़ा गई।

अफवाहों का रहा जोर

मेरठ से लेकर उत्तराखंड में मंगलवार शाम से पेट्रोल पंपों पर अचानक पेट्रोल डीजल खत्म होने की खबर से लोग सकते में आ गए। अफवाहों के चलते सुबह लोग पेट्रोल पंप पर गाड़ियों में तेल भरवाने पहुचने लगे। यह भी अफवाह उड़ी की दो दिन पंप बंद रहेंगे, इसके चलते भी भीड़ लगी। अफवाहों के चलते स्थिति सबसे ज्यादा प्रभावित नजर आई। दोपहर से पेट्रोल और डीजल की किल्लत की बात कही जा रही थी। जिससे मंगलवार की सुबह होते-होते शहर के कई पेट्रोल पंपों पर खरीददारों की भीड़ इकट्ठा होने लगी।

उत्तराखंड में भी पेट्रोल न होने से कुछ पेट्रोल पंप बंद रहे। उत्तराखंड घूमने गए लोगों ने बताया कि वहां एचपी के अलावा एस्सार और रिलायंस के पंपों पर भी तेल की किल्लत देखने को मिल रही है। उनके पम्प बंद होने से ग्राहक सरकारी कम्पनियों के पम्पों पर वाहनों में पेट्रोल डीजल भरवाने पहुंच रहे हैं। इससे उन पर डिमांड बढ़ गई है। इस डिमांड को पूरा करने में इन तेल कम्पनियों को जबरदस्त घाटा हो रहा है। ऐसे में टर्मिनल से ही सप्लाई राशनिंग कर दी जा रही है।

कम्पनियों की विशुद्ध व्यापारिक नीति

जब तेल कम्पनियां मुनाफा कमा रही थीं तो खूब सप्लाई दी जा रही थी। यहां तक कि डीलर्स को उधार में भी तेल पहुंचाया जा रहा था। सभी कम्पनियों में ज्यादा से ज्यादा तेल बेचने की प्रतिस्पर्धा चल रही थी। अब हालात उलट होने पर तेल कम्पनियों ने पलटी मार ली है। निजी कम्पनियों ने तो अपनी रिफाइनरी होने के बावजूद अपने पम्पों पर सप्लाई ठप कर दी है, जब सरकारी कम्पनियां कम से कम तेल बेचकर कम से कम घाटा उठाने की रणनीति पर अमल कर रही है। लेकिन वे भूल रही हैं कि उनके इस कदम से आम जनता को कितनी परेशानी हो रही है।

खेतीबाड़ी पर भी संकट

देशभर में अभी खेतीबाड़ी का सीजन है। खरीफ की बुवाई होनी है। खेतों में पम्पसेट चलाने के लिए डीजल की बम्पर डिमांड आ रही है। लेकिन किसानों को डीजल की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। गत दिनों राजस्थान के चूरू जिला कलेक्टर ने सरकारी तेल कम्पनियों को सप्लाई सुचारू रखने की हिदायत भी दी। मंगलवार को अजमेर में भी डीलर्स ने जिला प्रशासन से तेल कम्पनियों को नियमित सप्लाई देने के लिए पाबंद करने की मांग की।

उधर, मानसून के मद्देनजर राज्यभर में जिला कलेक्टर पेट्रोल पम्प संचालकों को अपने यहां पेट्रोल डीजल का स्टॉक रिजर्व रखने के निर्देश भी जारी कर रहे हैं। बेचारे डीलर्स को बेचने के लिए तो तेल मिल नहीं रहा, ऊपर से स्टॉक रिजर्व भी रखना है।