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पीएफ खाताधारकों के लिए खुशखबरी! बजट के नए नियम से और बचेंगे पैसे

नई दिल्‍ली. वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने बजट में पीएफ खाताधारकों (PF Account Holder) को बड़ी सौगात दी है. बजट के नए नियमों के मुताबिक, अब पीएफ खाते से पैसे निकालने पर आपको ज्‍यादा टैक्‍स नहीं चुकाना पड़ेगा. वित्‍तमंत्री ने इस तरह की निकासी पर स्रोत पर कर कटौती (Tax Deduction on Source-TDS) घटा दिया है. अब पीएफ खाताधारकों को 30 फीसदी के बजाए सिर्फ 20 फीसदी ही टीडीएस देना पड़ेगा.
वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में ऐलान किया है कि ऐसे पीएफ खाताधारक जिनका पैन खाते से जुड़ा नहीं है, उन्‍हें अब निकासी के समय कम टीडीएस देना होगा. इसका फायदा ऐसे पीएफ खाताधारकों को मिलेगा जिनके पैन की डिटेल ईपीएफओ के पास अपडेट नहीं है. ऐसे मामलों में अब पैसे निकालने पर 30 फीसदी के बजाए सिर्फ 20 फीसदी ही टीडीएस काटा जाएगा.

अभी कैसे कटता है पीएफ पर टीडीएस

इनकम टैक्‍स के मौजूदा नियमों के अनुसार, अगर कोई पीएफ खाताधारक खाता खोले जाने के 5 साल के भीतर पैसे निकालता है तो और उसका पैन डिटेल EPF खाते के साथ अटैच है तो निकासी पर सिर्फ 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटा जाता है. वहीं, ऐसे खाताधारक जिनका पैन खाते के साथ नहीं जुड़ा है, उन्‍हें निकासी पर 30 फीसदी की दर से टीडीएस चुकाना पड़ता है. हालांकि, ऐसे खाताधारक अपना टीडीएस बचाने के लिए फॉर्म 15G/15H जमा कर सकते हैं, जो पैन के एवज में EPFO स्‍वीकार करता है.

5 साल से पहले निकासी पर दोहरा नुकसान

अगर कोई खाताधारक अपने पीएफ से 5 साल से पहले पैसे निकलता है तो उसे दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है. मौजूदा आयकर कानून के तहत एक तो उस निकासी पर टीडीएस काटा जाता है तो दूसरी ओर खाताधारक को पीएफ पर मिली 80सी की टैक्‍स छूट भी खत्‍म हो जाती है. वहीं, 5 साल बाद निकासी करने पर न तो आपको टीडीएस के रूप में टैक्‍स चुकाना पड़ता है और पीफ पर क्‍लेम की गई 80सी की टैक्‍स छूट भी मिलती है.

बजट में और क्‍या हुआ बदलाव

बजट 2023 में पीएफ खाते से निकासी को लेकर और भी बदलाव हुए हैं. इसमें कहा गया है कि अगर निकासी की गई रकम 50 हजार से कम है तो उस पर डिडक्‍शन का लाभ नहीं मिलेगा. इसके अलावा अब पीएफ खाते से पैन जुड़ा होने के बावजूद अगर 5 साल से पहले पैसे निकाले गए तो 20 फीसदी की दर से टीडीएस काटा जाएगा. जैसा कि ऊपर बताया है कि पहले यह टीडीएस 10 फीसदी की दर से काटा जाता था.