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‘गोरखधंधा’ लिखना-कहना मंजूर नहीं, नाथ समाज ने जताई घोर आपत्ति

गुरु गौरक्षनाथ का अपमान बताया
नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। गोरखधंधा…आमतौर पर इस शब्द का इस्तेमाल गैरकानूनी और गैरवाजिब किया जाता रहा है लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। नाथ समाज ने इस पर घोर आपत्ति जताते हुए इस गुरु गौरक्षनाथ यानी गुरु गोरखनाथ का अपमान बताया है। नाथ समाज ने समाचार पत्रों-मैगजीन व अन्य प्रचार माध्यमों सहित किसी भी जगह ‘गोरखधंधा’ शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाने का निर्णय किया है।
दरअसल नाथ समाज गुरु गौरक्षनाथ का अनुयायी है। समाचार पत्रों व अन्य माध्यमों में किसी भी गैरकानूनी गतिविधि के लिए गोरखधंधा शब्द का धड़ल्ले से इस्तेमाल कि या जाता रहा है। उधर गुरु गौरक्षनाथ को गुरु गोरखनाथ के नाम से भी जाना जाता है। गुरु गोरखानाथ हठ योगी थे। इस पंथ के लोगों को नाथ, योगी, औघड़, अवधूत आदि नामों से जाना जाता है। नाथ समाज का कहना है कि गोरखधंधा शब्द सीधे-सीधे गुरु गौरक्षनाथ के प्रति अपमान का आभास दिलाता है। गोरख कोई गलत व्यक्ति नहीं थे जिनके नाम के आगे धंधा जोड़कर लोग उनके गुरु व समाज का नाम का अपमान करते आ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट से लगाएंगे गुहार
पिछले दिनों में जिले के सावर क्षेत्र में नाथ समाज की बैठक हुई। इसमें समाज के अगुवा संतों ने इस शब्द के इस्तेमाल पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई। समाज के एडवोकेट दीना नाथ योगी ने स्पष्ट चेताया कि कहीं भी किसी भी अभिप्राय में गोरखधंधा शब्द का इस्तेमाल सहन नहीं किया जाएगा। इस बारे में सरकार को ज्ञापन भेजने के साथ ही माननीय न्यायालय की शरण भी ली जाएगी। साथ ही समाज के लोगों ने अपनी पहचान स्वरूप भगवा दुपट्टा अनिवार्य रूप से धारण करने का निर्णय लिया।

अन्य समाज लें सबक
नाथ समाज का यह विरोध जायज है। इसके लिए इस समाज की प्रशंसा करने के साथ ही उसकी जागरुकता की भी सराहना की जानी चाहिए। किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके पेशे और समाज से होती है। जो व्यक्ति और समाज अपने आत्मसम्मान के प्रति सजग नहीं रहता, उसे स्वार्थी ही कहा जाएगा। सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े नाथ समाज ने अपने आत्मसम्मान से जुड़ा मुद्दा उठाकर अन्य समाजों के सामने आदर्श पेश किया है कि वे भी अपने नाम-अपनी पहचान की रक्षा करें। ऐसे समाज और उसकी सोच को सलाम।
-संतोष खाचरियावास, पत्रकार