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नामदेव बंधु का अनोखा प्रयास : सेवानिवृत्ति के बाद समाज की सेहत सेवा!


नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद अब वे घर में आराम करने की बजाय पूरे समाज को सेहतमंद बनाने में जुटे हैं। लोगों की सेहत सेवा में व्यस्त हैं। आज हम आपको मिलाते हैं ऐसे वरिष्ठ नामदेव बंधु से जो उम्रदराज होने के बाद भी किसी नौजवान की तरह ऊर्जावान हैं और दूसरों में भी ऊर्जा का संचार कर रहे हैं। नामदेव समाज रतलाम (मध्यप्रदेश) के अध्यक्ष रमेशचंद छीपा (गंगवाल) ऐसी ही शख्सियत हैं।


रेलवे के वाणिज्य विभाग से वर्ष 2003 में प्रधान लगेज प्रभारी पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने नरसेवा का मार्ग चुना। इसके लिए वे सुबह-शाम स्वामी रामदेव के योग की नि:शुल्क कक्षाएं लगाने लगे। धीरे-धीरे लोगों की संख्या बढ़ती गई और वे सभी योग से लाभान्वित होने लगे। रमेशजी विभिन्न जिलों व तहसीलों में अब 130 से अधिक योग शिविर लगा चुके हैं।
दो सत्रों में प्रशिक्षण
रमेशजी रतलाम में नियमित रूप से सुबह-शाम अलग-अलग स्थानों पर योग शिविर लगाते हैं। सायंकालीन शिविर विशेष रूप से महिला साधकों के लिए होता है जो महिला सशक्तीकरण के उद्देश्य से लगाया जा रहा है। यह शिविर उनके निवास ए 103 अलकापुरी रतलाम में शाम 5 से 6.30 बजे तक चलता है।


जबकि प्रात:कालीन सत्र सुबह 5 से 7 बजे तक जवाहरनगर अम्बेडकर भवन चलता है। इसमें दो दर्जन से ज्यादा साधक नियमित रूप से योग प्रशिक्षण ले रहे हैं। दोनों जगह दोनों सत्रों में खुद रमेशजी योग क्रियाएं कराते हैं।
पारिवारिक परिचय
रमेशचंद छीपा भरे-पूरे परिवार के मुखिया हैं। उनके दो पुत्र हैं। इनमें एक डॉक्टर व दूसरे भारतीय सेना में जेसीओ पद पर अरुणाचल प्रदेश में कार्यरत हैं। दो विवाहित पुत्रियां हैं जिनमें एक देवास व दूसरी मंदसौर में हैं। उनके पौत्र प्रतीक छीपा पुत्र डॉ.मुकेश छीपा ने हाल ही सीबीएसई बारहवीं परीक्षा में बेहतरीन अंक प्राप्त कर समाज का नाम रोशन किया था।
संदेश समाज को
‘नामदेव न्यूज डॉट कॉम’ से बातचीत में रमेशजी ने कहा किईश्वर की कृपा रही तो वे अंतिम समय तक योग सेवा करता रहूंगा। योग से बहुत सारे असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है। थाइराइड, एसिडिटी, कब्ज, हार्ट ब्लॉकेज, किडनी, अस्थमा, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल आदि में चमत्कारिक लाभ होता है। स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से योग करें। योग से दिनभर शरीर में ऊर्जा का संचार होता रहता है।