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पनामा पेपर्स प्रकरण से मध्यप्रदेश में भी लगेगी आग

भोपाल। पनामा पेपर्स लीक मामले की आँच अब जल्द ही शांत कहे जाने वाले मध्यप्रदेश को भी झुलसाने वाली है। पनामा पेपर्स के नाम से कर चोरी के स्वर्ग कहे जाने वाले देशों में छद्म नाम और पहचान से कंपनियाँ स्थापित करने वालों की जानकारी सार्वजनिक करने वाली संस्था इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आईसीआईजे) ने हाल ही में इस संबंध में अपनी ओर से नया डाटा जारी किया है। इस डाटा में जहां देशभर के तमाम राज्‍यों से सेकड़ों लोगों के नाम व पते दिए गए हैं, वहीं मध्‍यप्रदेश की राजधानी भोपाल, इंदौर और मंदसौर के 7 पते भी इसमें प्रमुखता से शामिल हैं।

आईसीआईजे द्वारा पनामा पेपर्स लीक मामले से संबंधित जो नवीनतम जानकारी अपने वेब पोर्टल पर जारी की गई है, उसमें करीब 2 हजार भारतीयों का जिक्र है। नए डाटा में भारत से जुड़ी जानकारी खोजने पर लगभग 22 विदेशी इकाइयों, 1046 अधिकारियों या अन्य लोगों के लिंक, 42 बिचौलियों की जानकारी एवं देश के 828 पतों का उल्लेख है। इनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे महानगरों से लेकर हरियाणा के सिरसा, बिहार के मुजफ्फरपुर और मध्यप्रदेश के मंदसौर, इंदौर और राज्य की राजधानी भोपाल तक के पते शुमार हैं।

मध्‍यप्रदेश में सबसे ज्‍यादा नाम भोपाल के
संस्था द्वारा सार्वजनिक किए गए नए डाटा में मध्यप्रदेश के जिन 7 पतों का जिक्र है, उनमें से सबसे ज्यादा 4 पते राजधानी भोपाल के हैं। दो पते प्रदेश की कारोबारी राजधानी इंदौर के हैं और एक पता मंदसौर का भी है। राजधानी भोपाल के जिन पतों की जानकारी सार्वजनिक की गई है, उनमें से एक पता इंद्रपुरी, सेक्टर-बी का, एक पता ई-3, अरेरा कॉलोनी, एक पता ई-1, अरेरा कॉलोनी और एक पता 74 बंगले का है। इंदौर के जिन दो पतों की जानकारी दी गई है, उनमें से एक पता स्वामी विवेकानंदनगर, कनाडिय़ा रोड का एवं दूसरा पता ओल्ड पलासिया क्षेत्र का है। इसी तरह मंदसौर के जिस पते का जिक्र नए डाटा में किया गया है, वह मंदसौर की प्रताप कॉलोनी का है।

इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आईसीआईजे) के अनुसार जो डाटा सार्वजनिक किया गया है, उसमें 1977 से लेकर 2015 के अंतिम महीने तक की जानकारी शामिल है। संस्था ने स्पष्ट किया है कि उसके द्वारा सार्वजनिक किए गए डाटा में जिन लोगों, कंपनियों के नाम, पते आदि का उल्लेख है, जरूरी नहीं है कि उन्होंने कानून तोड़ा है, या वे किसी अनुचित कारोबार में लिप्त हैं। संस्था के अनुसार उसने यह जानकारी जनहित में जारी की है और जारी की गई जानकारी पनामा पेपर्स का एक हिस्साभर है।

उल्‍लेखनीय है कि पनामा पेपर्स मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। वकील एमएल शर्मा ने अपनी पिटीशन में इस मामले की सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी कराने की मांग की थी। जिसके बाद उच्‍चतम न्‍यायालय ने केंद्र सरकार, सीबीआई, फाइनेंस मिनिस्‍ट्री, मार्केट रेग्‍युलेटर सेबी और भारतीय रिजर्व बैंक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। वहीं इसमें संल‍िप्‍त भारतीयों को लेकर केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक मल्‍टी-एजेंसी ग्रुप बनाया है। एइसमें इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट,फआईयू, आरबीआई, सीबीडीटी के तहत आने वाले फॉरेन टैक्‍स एंड टैक्‍स रिसर्च के साथ-साथ ब्‍लैकमनी पर बनी एसआईटी शामिल हैंं।

यहां यह भी गौर करना उचित होगा कि पनामा की लॉ फर्म के 1.15 करोड़ टैक्स डॉक्युमेंट्स लीक किए गए हैं। इन डॉक्युमेंट्स में 2 लाख 14 हजार अकाउंट्स का जिक्र है। ये करीब 40 साल से पनामा के बैंकों में हैं। लीक हुए टैक्स डॉक्युमेंट्स बताते हैं कि कैसे दुनियाभर के 140 नेताओं और सैकड़ों सेलिब्रिटीज ने टैक्स हैवन कंट्रीज में पैसा इन्वेस्ट किया। शैडो कंपनियां, ट्रस्ट और कॉरपोरेशन बनाए गए तथा किस प्रकार से इनके जरिए टैक्स बचाया गया।