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राजस्थान में सरपंचों से मोदी मिशन को मात


ग्राम उदय से भारत उदय अभियान की ग्राम सभाओं का बहिष्कार
नामदेव न्यूज डॉट कॉम
जयपुर। अपनी कूटनीति और लच्छेदार भाषा शैली के कारण अमेरिका से लेकर दुनियाभर के देशों में लोकप्रियता लूट रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लोकतंत्र की सबसे निचली इकाई यानी सरपंचों से मात खानी पड़ गई। प्रधानमंत्री के बहुप्रचारित ग्राम उदय से भारत उदय अभियान के तहत रविवार को देश की सभी ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभाएं होनी थीं। लेकिन राजस्थान में सरपंचों ने इन ग्रामसभाओं का बहिष्कार कर मोदी को उनके ही घर में मात दे दी। मामले की खास बात यह है कि सरपंचों की नाराजगी मोदी से नहीं बल्कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से है। सरपंच लंबे समय से बीएसआर दर पर निर्माण सामग्री खरीद का अधिकार पंचायत को देने की मांग कर रहे हैं। इस मांग के पीछे सरपंचों को ऊपरी कमाई होगी। राज्य सरकार ने इस पर रोक लगा दी है। विगत दिसंबर में राज्यभर के सरपंच लामबंद हो गए। तब वसुंधरा  ने उन्हें आश्वासन की गोली थमा दी थी। मांग नहीं मानने पर मार्च में बजट सत्र के दौरान सरपंचों ने विधानसभा का घेराव किया। इस पर राज्य सरकार ने समझौता कर लिया मगर उस समझौते की पालना में आदेश आज तक नहीं हुए। इस पर सरपंचों ने मौका भुनाते हुए विशेष ग्राम सभाओं के बहिष्कार का गेम खेला ताकि सीधे प्रधानमंत्री तक उनकी बात पहुंच जाए। साथ ही मोदी के सामने वसुंधरा की कार सेवा भी हो सके। सभी जानते हैं कि वसुंधरा पहले से ही मोदी के निशाने पर हैं। जब मोदी को पता चलेगा कि राजस्थान में उनके मिशन की नाकामयाबी के पीछे वसुंधरा जिम्मेदार हैं तो उनके नंबर कम होना तय है।

यह होना था
विशेष ग्राम सभाओं में विकास की योजनाओं पर चर्चा होनी थी। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी को संदेश वाला वीडियो भी ग्रामीणों को दिखाना था। ज्यादातर ग्राम पंचायतों में सरपंच संघ के बहिष्कार के चलते ग्राम सभाएं नही हो सकीं। अलबत्ता ग्रामसेवकों ने अपनी नौकरी बजाते हुए कागजों में ग्रामसभाओं की खानापूर्ति जरूर कर दी।


हल्दी लगे ना फिटकरी…
मोदी को बिना हल्दी या फिटकरी लगाए चोखा रंग हासिल करने की महारत हासिल है। आए दिन एक नई घोषणा…नित नए अभियान…। कांगे्रस की कई योजनाओं के नाम बदलकर वाह-वाही लूटने वाले मोदी ने जनता का सारा ध्यान स्वच्छ भाुरत मिशन पर लगा रखा है। या यूं कहें कि नगरपालिका-नगर परिषद स्तर के काम के लिए पीएमओ परेशान हो रहा है। उनकी तर्ज पर ही राजस्थान की वसुंधरा सरकार चल रही है। मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन योजना के नाम पर आमजन के साथ ही सरकारी क र्मचारियों को भी कुएं-तालाब, बावड़ी आदि की सफाई में झोंक रखा है। फार्म पॉण्ड योजना में किसानों के नाम पर जुगाड़ी और प्रभुत्व रखने वाले ग्रामीणों को अनुदान देकर ऑब्लाइज किया जा रहा है। इसी तरह मनरेगा में पैसे की बर्बादी हो रही है। होना तो यह चाहिए था कि आज जिन कुओं-तालाबों की सफाई-खुदांई में जोर लगाया जा रहा है, उनकी सुध बरसों पहले ही ली जाती तो आज यह दिन नहीं देखने पड़ते। मनरेगा के तहत सिर्फ जल संरक्षण के पक्के काम कराए जाते तो लंबे अर्से तक ग्रामीणों को इसका फायदा मिलता।