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देवशयनी एकादशी : आज 23 जुलाई से थम जाएंगे मांगलिक कार्य

न्यूज नजर :  देव शयनी एकादशी के साथ ही इस बार 23 जुलाई से शादी, गृहप्रवेश, मुंडन, उपनयन, यज्ञोपवीत सहित अन्य मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इसके बाद देव उठनी एकादशी के साथ ही मांगलिक कार्य पुन: शुरु पाएंगे।

 

देव शयनी सेभगवान विष्णु सहित अन्य देवी देवता सो जाते हैं, ऐसे में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य करने की शास्त्रों में मनाही है। इस अवधि में भगवान विष्णुके शयन में चले जाने के बाद आशुतोष भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

 

ज्योतिषाचार्य पं.रोहित दुबे ने बताया कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाताहै। इस वर्ष देवशयनी एकादशी 23 जुलाई को मनाई जाएगी। इसी दिन से चातुर्मास का भी आरंभ होता है। सभी उपवासों में देवशयनी एकादशी व्रत श्रेष्ठतम कहा गया है। इस व्रत को करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा सभी पापों का नाश होता है।

इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना कामहत्व होता है क्योंकि इसी रात्रि से भगवान का शयन काल आरंभ हो जाता है जिसे चातुर्मास या चौमासा का प्रारंभ भी कहा गया है।

 

ब्रम्हचारी चैतन्यानंद महाराज ने बताया कि देवशयनी या हरिशयनी एकादशी केविषय में पुराणों में विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है, जिनके अनुसार इस दिनसे भगवान विष्णु चार मास की अविध तक पाताल लोक में निवास करते है।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से भगवान विष्णु उस लोक के लिये गमन करते है और इसके पश्चात चार माह के अतंराल बाद सूर्य के तुला राशि में प्रवेश करनेपर विष्णु भगवान का शयन समाप्त होता है। इस दिन को देवोत्थानी एकादशी केनाम से जाना जाता है।