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मंत्रियों के रिश्तेदार क्या करते हैं काम-धंधे, आलाकमान ने मांगी रिपोर्ट

भोपाल। मप्र सरकार के मंत्रियों पर आए दिन लग रहे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों और पार्टी पदाधिकारियों द्वारा मंत्री, विधायकों के आचरण को लेकर सीधे हाईकमान को की गईं शिकायतों पर अमल शुरू हो गया है।

खबर है कि पार्टी हाईकमान ने प्रदेश नेतृत्व से सरकार के मंत्री एवं चुनिंदा विधायकों के काम धंधों की जानकारी तलब की है। खासकर मंत्रियों के रिश्तेदार पार्टी से किस तरह से जुड़े हैं और वे क्या काम-धंधे करते हैं। पार्टी हाईकमान के निर्देश पर प्रदेश भाजपा संगठन ने इसकी रिपोर्ट भी लगभग तैयार कर ली है।

नोटबंदी के बाद पार्टी हाईकमान के पास इस तरह ही शिकायतें पहुंची थी कि मप्र सरकार के मंत्री अपने करीबी और रिश्तेदारों के माध्यम से खदान, ठेकेदारी, परिवहन जैसे धंधों में शामिल है। जिसको लेकर कई बार मंत्रियों पर सीधे आरोप भी लगे है।

पिछले महीने जब कटनी हवाला कांड, नर्मदा नदी से अवैध उत्खनन का मामला जब देश भर में सुर्खियों में आया तब, पार्टी हाईकमान के सामने प्रदेश नेतृत्व को सफाई भी देनी पड़ी, हालांकि सफाई देने का अंदाज अलग था।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि मप्र में नर्मदा यात्रा शुरू होने के बाद हाईकमान को मप्र से ऐसी कई शिकायतें मिली हैं, जिसमें नर्मदा में बड़े पैमान पर सरकार से जुड़े लोगों द्वारा अवैध उत्खनन करने का जिक्र था।

इस सभी शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए हाईकमान ने प्रदेश संगठन से मंत्रियों के काम-धंधों की जानकारी तलब की है, खासकर मंत्रियों के रिश्तेदार जो किसी तरह भाजपा से जुड़े हैं और जो ऐसे काम धंधों में लिप्त हैं तो जिससे उनके आचरण पर सवाल उठते हैं।

बताया गया कि पांच राज्यों में चुनाव की वजह से फिलहाल मप्र सरकार के मंत्रियों के काम-धंधों वाला मामला ठंडा पड़ा हुआ है। संभवत: अगले महीने इसको लेकर पार्टी में उथल-पुथल हो सकती है।

पिछले हफ्ते मप्र एटीएस द्वारा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को सूचनाएं भेजने के आरोप में प्रदेश भर से एक दर्जन से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया। इनमें से कुछ लोगों के भाजपा से जुड़े होने की चर्चा है।

हालांकि प्रदेश नेतृत्व ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है, लेकिन हाईकमान ने इसे गंभीरता से लिया है। पार्टी सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि मप्र में भाजपा के तथाकथित नेताओं के आईएसआई कनेक्शन से पूरी पार्टी ही हिल गई है। जल्द ही प्रदेश संगठन को इस मसले पर विस्तार से सफाई देनी पड़ सकती है।