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अब गांवों में ही मिलेगी कानूनी सहायता


कोटा। भारत गांवों में बसता है। यह एक ऐसी सच्चाई है जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती लेकिन यह भी सच्चाई है कि देश की अधिकांश ग्रामीण जनसंख्या को कानूनी सहायता नहीं मिल पाती है।

लोगों को उनके अपने ही गांवों में ही प्रभावशाली कानूनी सहायता मिल सके इसके लिए राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण ने एक योजना तैयार की है। इसके माध्यम से गांवों में लोगों को कानूनी सहायता सुलभ कराने के लिये कानूनी सहायता क्लीनिक स्थापित किए जा रहे हैं।

अभी ज्यादातर कानूनी सेवा संस्थाएं शहरी तथा अद्र्धशहरी क्षेत्र में ही  स्थित हैं, जिनका ग्रामीण लाभ नहीं उठा पाते। इस कमी को दूर करने के लिए कानूनी सहायता क्लीनिक की योजना गरीबों तथा समाज के पिछड़े वर्गों को कानूनी सहायता दिए जाने के लिए बनाई गई है।

राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण की राष्ट्रीय कार्रवाई योजना के अंतर्गत योजना के तहत ताल्लुतका/उप मंडल/मंडल स्तर तक विधि सेवा संस्थाओं का जाल फैलाया जा रहा है जिसके माध्यम से इसे पूरे देश के गांवों में कानूनी सहायता क्लीनिक स्थापित किए जाने की योजना है।

जिस तरह से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जहां पर डॉक्टर तथा अन्य सहायक चिकित्सा् स्टाफ गांवों में रहने वाले गरीब लोगों के मूलभूत स्वास्थ्य की देख-भाल करता है, उसी प्रकार से कानूनी सहायता क्लीनिक में वकील लोगों को कानूनी सेवा प्रदान करेगा।

योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबों, और समाज के कमजोर लोगों को कानूनी सहायता दिया जाना है।

योजना का लक्ष्यं मूलभूत प्रकृति की कानूनी सेवाएं जैसे कि कानूनी सलाह, पीटीशनों की ड्राफ्टिंग करना, नोटिस देना, उत्तंर देना, कानूनी महत्व के अन्य दस्तावेज तथा आवेदन तैयार करना, इसके साथ ही साथ स्थानीय लोगों के झगड़ों का निपटारा करना तथा उन्हें कोर्ट में जाने से रोकना है। ऐसे मामले जहां उच्च स्तर की कानूनी सहायता अपेक्षित है, उन्हें विधि सेवा प्राधिकरण आगे सलाह के लिए भेज देगी।

कानूनी सहायता क्लींनिक में सामान्यत लोगों की समस्यांओं के प्रति प्रतिबद्ध, समझदार तथा संवेदनशील वकील तथा पैरा-लीगल स्वयंसेवक होंगे। पैरा-लीगल स्ववयंसेवक कानूनी सेवा क्लींनिक के काम-काज के घंटों के दौरान ऐसे स्थान पर खोले जा रहे हैं।

स्थानीय निकाय के कार्यालय भवन जैसे कि गांव पंचायत के अंदर एक कमरा इसके लिए आदर्श समझा गया है। कानूनी सहायता क्लीनिक का लक्ष्य शांति स्थापित करना तथा स्थानीय लोगों का कल्याण करना है।

कानूनी सहायता क्लीनिक नजदीकी विधि सेवा संस्था के सीधे प्रशासनिक नियंत्रण में काम करेगा लेकिन राज्य विधि सेवा प्राधिकरण के पास इन क्लीनिकों की कार्य-प्रणाली के बारे में मार्ग-निदेश जारी करने का अधिकार रहेगा।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय, खाद्य और सार्वजनिक वितरण ने उपभोक्ता  सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। अब उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जानकारी, उपभोक्ता निवारण प्रणाली के ब्यौरों, निर्णयों के बारे में वेबसाइट पर सूचना प्राप्त कर सकते हैं।

उपभोक्ता को सभी प्रकार के शोषण से बचाने के लिए उपभोक्ता सुरक्षा प्रणाली को भी सुदृढ़ बनाया गया है। इसके लिए जिला स्तर पर उपभोक्ता फोरम तथा राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर उपभोक्ता  विवाद निवारण आयोग गठित किए गए हैं।

                                                                               -नामदेव न्यूज