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अब बिना बैंक खाते के भी मिलेगी सामाजिक पेंशन


जयपुर। पेंशनर्स के लिए खुशखबर है। उन्हें पेंशन का भुगतान केवल बैंक खातों में ही करने की बाध्यता को फिर से हटा लिया है। पेंशनरों को अब बिना खाते के भी पेंशन मिलेगी। सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के लाभार्थियों को पेंशन भुगतान के नियमों में तब्दीली की गई है।

खाते खोलने में सरकारी स्तर पर हो रही देरी के कारण जनप्रतिनिधियों ने खाते की अनिवार्यता कर विरोध किया था। इसके कारण सरकार को एक बार फिर से अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं।

सरकार ने अब दो तरह की व्यवस्था की है। जिन पेंशनरों के बैंक खाते खुल चुके हैं, उन्हें तो बैंक के जरिए ही पेंशन मिलेगी, लेकिन जिन लोगों के खाते नहीं खुले उन्हें अब पूर्ववत मनीऑर्डर-डाकघर बचत खाते के माध्यम से फिलहाल पेंशन मिलेगी।

गौरतलब है कि सरकार ने पूर्व में सीधे लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के तहत सामाजिक सुरक्षा योजना के पेंशनरों को सितंबर 2015 से बैंक खातों के माध्यम से पेंशन राशि भुगतान के निर्देश दिए थे।

लेकिन बड़ी संख्या में लोगों के खाते नहीं खुल पाने के कारण यह संभव नहीं हो रहा था। इस कारण कई जिलों के कलक्टरों ने सरकार से इस मामले में निर्देश मांगे।

कलक्टरों का कहना था कि भामाशाह प्लेटफार्म से जिनके बैंक खाते नहीं खोले गए हैं अथवा सीडिंग कार्य अभी तक पूर्ण नहीं हो पाया है, उनकी पेंशन का भुगतान किस प्रकार से होगा।

इस पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक ने जिला कलक्टरों को आदेश में बताया कि पेंशन के लाभार्थी, जिनका भामाशाह कार्ड जारी हो चुका है तथा भामाशाह पोर्टल पर उपलब्ध डाटा का विभागीय डाटा से मिलान व सीडिंग की कार्रवाई के बाद अपडेट कर दिया गया है, ऐसे लाभार्थियों का भुगतान बैंक खातों से करने की कार्यवाही की जानी है।

पायलट ब्लॉक के अतिरिक्त शेष पेंशनधारकों का पेंशन भुगतान पूर्व की भांति मनीआर्डर-डाकघर बचत खातों के माध्यम से किया जा सकता है।

गौरतलब है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक ने जिला कलक्टरों को एक पत्र में अक्टूबर से बिना बैंक खाते के किसी भी तरह की पेंशन का भुगतान नहीं करने को कहा था।

इस मामले में सख्ती से पालना करने को भी कहा गया। निदेशक के अनुसार पेंशनर की पहचान की पुष्टि किए बिना पेंशन न दी जाए। अक्टूबर में बड़ी संख्या में लोगों को पेंशन का भुगतान नहीं हुआ। इसको देखते हुए ही सरकार ने अपनी पूर्व घोषित नीति को थोड़ा लचीला बनाया है।