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इस दिवाली बमों से सावधान! बहरा बना सकता है कानफोडू शोर


अजमेर। शहर में लगातार हो रहे ध्वनि प्रदूषण ने लोगों को बहरा करने के कगार तक पहुंचा दिया है। पहले गणेशोत्सव फिर दुर्गोत्सव में डीजे का शोर। उसके बाद दशहरे पर हुई आतिशबाजी। अब दिवाली की बारी। डीजे के शोर से जहां अब तक लोग उबर नहीं पाए थे कि अब पटाखे से निकलने वाली तेज आवाज लोगों के कानों के लिए खतरा बन सकती है।

दरअसल शहर में शोर-शराबा 80 डेसिबल को पार कर चुका है। पर्यावरण संरक्षण मंडल के अनुसार 80 डेसिबल का शोर लोगों को बहरा कर सकता है। दिवाली करीब आते ही फिर से पटाखे फूटने प्रारंभ हो गए। इसके चलते लोगों के बहरे होने और ब्लड प्रेशर बढऩे की समस्याएं मुंह उठाने लगी है।

साल दर साल बढ़ रही परेशानी को देखने के बावजूद जिम्मेदार विभाग और प्रशासन सोया हुआ है। वक्त बे वक्त फोड़े जाने पटाखों व प्रेशर हॉर्न के उपयोग पर नकेल कसने के लिए उपाय नहीं कर रहा है। पर्यावरण संरक्षण मंडल, प्रशासन और यातायात पुलिस की ढिलाई का खामियाजा मासूमों के साथ, बुजुर्गों को भुगतना पड़ रहा है।

वाहनों के प्रेशर हॉर्न के बढ़ते उपयोग और उनकी संख्या के चलते हर साल शहर में ध्वनि प्रदूषण की मात्रा 3 से 5 प्रतिशत बढ़ रही है। जिला प्रशासन ने अस्पतालों के आसपास साइलेन्ट जोन घोषित कर रखा है। मगर वहां से गुजरने वाले वाहनों के प्रेशर हॉर्न पर रोक के लिए कोई पुलिसकर्मी तैनात नहीं है।

संभाग के सबसे बड़े जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के आसपास समारोहस्थल होने के कारण डीजे बजते रहते हैं। साथ ही धार्मिक आयोजनों में भी शोर-शराबा रहता है। लगातार शोर-शराबे से शहर में ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़कर खतरे के कगार तक पहुंच चुका है।