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‘उमराव’ ने फूंकी इनटोलेरेंस मुद्दे में ‘जान’


आईएएस अधिकारी के धर्म परिवर्तन मामले पर छिड़ी चर्चा
जयपुर। देश में असहिष्णुता का मुद्दा थोड़ा ठंडा हुआ ही था कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी उमराव खान (पूर्व में सालोदिया) का सरकार पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाकर धर्म परिवर्तन करना इस मुद्दे को तूल दे गया। उनके इस कदम पर अब चर्चाएं शुरू हो गई। अधिकांश लोग इसे राजनीति में प्रवेश का नया पैतरा मान रहे हैं।

चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ का आरोप है कि सालोदिया का यह कदम किसी के इशारे पर है। इस  बयान के बाद पूरे शहर में इसको लेकर खासी चर्चा है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि किसी पार्टी विशेष से वे टोंक सीट से भी चुनाव लडऩे की तैयारी कर सकते हैं। इस सीट को अल्पसंख्यक बहुल माना जाता है। कुछ भी हो उमराव के इस फैसले के बाद न केवल ब्यूरोक्रेसी बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई। लोग नववर्ष के मौके पर इस विषय पर खासी चर्चा कर रहे हैं।
कई हिंदूवादी संगठनों ने उमराव के हिंदूधर्म में भेदभाव के बयान की निंदा करते हुए कहा है कि हिन्दू धर्म में खोट बताना अशोभनीय है। आज जीवन के इतने साल हिंदू धर्म की पालना कर जीवन यापन कर रहे सालोदिया केवल एक मुख्य सचिव पद न मिलने से धर्म को ही गलत बताकर उसे छोड़ रहे हैं, ये उनकी राजयोग की लालसा को दर्शाता है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि ये प्रशासनिक अधिकारी के साथ-साथ भजन गायक के रूप में लोकप्रिय रहे हैं।
उमराव के इस कदम के बाद सोशल मीडिया पर लोगों के वक्तव्य और कमेंट्स आने शुरू हो गए। एक बहस सी छिड़ गई। अलग-अलग समुदाय के लोग इसे अच्छा व बुरा मान रहे हैं लेकिन पद के लिए किसी धर्म को गलत बताने का मामले पर अधिकांश लोगों ने अपनी निजी राय में इसे गलत बताया।