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दुश्मन को पकड़कर पिंजरे में कैद कर लेता था आनन्दपाल, पढ़िए खौफ के किस्से


जयपुर/नागौर। करीब एक दशक तक राजस्थान में खौफ का पर्याय रहा आनन्दपाल सिंह शनिवार रात पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। इस 5 लाख के इनामी गैंगस्टर को लेकर कई रहस्यमय किस्से हैं। पिछले डेढ़ साल से पुलिस और एसओजी उसके पीछे पड़ी थी। सैकड़ों जगह दबिश दी गई। इस दौरान उसके बारे में कई चौंकाने वाले राज सामने आए।
आनंदपाल ने 2006 में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। उस साल उसने डीडवाना में जीवनराम गोदारा की हत्या कर दी थी।

इस हत्याकांड के अलावा आनंदपाल पर डीडवाना में ही 13 मामले दर्ज थे, जहां 8 मामलों में कोर्ट ने आनंदपाल को भगौड़ा घोषित किया हुआ था।

 

आनंदपाल सितंबर 2015 में नागौर की कोर्ट में पेशी के बाद वापस अजमेर जेल में भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच लाते समय पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया था। इसके लिए फ़िल्मी स्टाइल में साजिश रची गई। पुलिस दल को जहरीली मिठाई खिलाकर वह भाग निकला।
पुलिस ने उसके एक ठिकाने से बड़ा पिंजरा बरामद किया। बताते हैं कि अपने दुश्मन को वह इसी पिंजरे में बंदी बनाकर रखता था। इस पिंजरे में बंदी हिलडुल भी नहीं पता था।


आनंदपाल कभी भी अपने आदमियों से फोन पर बात नहीं करता था। उसके गुर्गे ही कोडवर्ड में उसका मैसेज इधर से उधर पहुंचाते थे।
आनंदपाल हर वक्त अपने साथ एके-47 रखता था। पुलिस को देखते ही वह गोली चला देता था। यही वजह है कि एसओजी भी उससे खौफ खाती थी।

आनंदपाल के बारे में बताया जाता है कि वह फेसबुक पर सक्रिय रहता था। अजमेर जेल में रहते हुए उसने अपने फोटो फेसबुक पर अपलोड भी किए। फरारी के बाद भी उसके नाम से बने फेसबुक पेज पर पुलिस को चुनौती दी जाती रही। उसके हजारों फैंस हैं।

पिछले साल उसकी मां ने मीडिया में यह बयान देकर राजपूत समाज की सहानुभूति हासिल की थी कि आनंदपाल अपराधी नहीं है, उसके खिलाफ गहरी साजिश रची गई है। वह सरेंडर करना चाहता है लेकिन पुलिस उसका एनकाउंटर करने पर आमादा है। उसकी बेटी विदेश में पढ़ती है जबकि माँ व भाभी नागौर के सांवराद गांव में ही रहते हैं।
इसके बाद जयपुर में हुई राजपूत समाज की रैली में समाज ने आनंदपाल के लिए न्याय की मांग की थी।
आनंदपाल के लेडी डॉन अनुराधा चौधरी से संबंध बताए जाते थे। अनुराध फिलहाल जेल में कैद है। वह सीकर की रहने वाली है और उसने दीपक मिंज से शादी की थी। वह शेयर मार्केट में भी पैसा लगाती थी। बताते हैं कि भारी नुकसान होने के बाद उसने आनंदपाल से हाथ मिलाया था।
आनंदपाल का मुख्य पेशा रंगदारी वसूलना था। राज्य में अलग-अलग जगह उसकी करोड़ों रुपए की बेनामी जमीनें थी जिन्हें सरकार ने अपने कब्जे में ले ली।

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