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बिना मंजूरी पूरे शहर की सड़कें खोद डाली, अब फूटा भांडा

अजमेर नगर निगम की बैठक में 350 करोड़ का बजट पारित

अजमेर। राजस्थान में अजमेर नगर निगम के लिए नवगठित भाजपा बोर्ड की पहली साधारण सभा में आज भारी हंगामे और धरने जैसे कदम के बीच 34908.91 लाख (करीब 350 करोड़) का वित्तीय बजट वर्ष 2021-22 के लिए पारित कर दिया गया।

निगम महापौर बृजलता हाडा की अध्यक्षता में आयोजित पहली बैठक हंगामेदार रही। विपक्षी कांग्रेसी पार्षदों का हंगामा तो समझ में आया लेकिन सत्ता पक्ष के पार्षदों ने भी निगम के अधिकारियों को जमकर घेरा।

विकास के मुद्दे के अलावा गैस पाइपलाइन बिछाने की मंजूरी नहीं होने के बावजूद खोदी जा रही सड़कों, गतवर्ष की तुलना में कम बजट पेश करने सहित अनेक ऐसे मुद्दे रहे जिस पर गरमागरमी चली।

कांग्रेसी पार्षदों ने निगम में भ्रष्टाचार को लेकर सदन में धरना भी दिया। बजट की इस साधारण सभा में अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई जिनमें कार्मिकों के स्थाईकरण, कांजी हाउस ठेका, सफाई ठेका 80 वार्डों के लिए जारी करना, स्ट्रीट लाइट और जनहित के मुद्दों पर चर्चा रही।

महापौर की ओर से ज्यादातर मुद्दों के जवाब उपमहापौर नीरज जैन ने दिए। बैठक में निगम की आय बढ़ाने पर भी विचार हुआ और पार्षदों ने सुझाव भी दिए। फिलहाल दिनभर चली साधारण सभा में हंगामे के बावजूद बजट प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया जिसे अब राज्य सरकार को भेजा जाएगा। वर्तमान पारित बजट गतवर्ष की तुलना में पंद्रह करोड़ रुपए कम है।

गैस पाइपलाइन का मुद्दा छाया रहा

अजमेर नगर निगम की नवगठित बोर्ड की पहली साधारण सभा में शहर में बिछाई जा रही गैस पाइपलाइन को लेकर मुद्दा छाया रहा। बैठक में कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों ने गैस पाइपलाइन को लेकर निगम प्रबंधन की जमकर खिचाई की और आरोप लगाया कि कंपनी के साथ निगम के लोगों का ‘गिरोह’ एक साजिश के तहत काम कर रहा है जिसके चलते निगम को करोड़ों करोड़ों की राजस्व हानि उठानी पड़ रही है।

बैठक में भाजपा बोर्ड के पार्षद रमेश सोनी ने अजमेर शहर नगर निगम सीमा में अवैध तौर पर सड़क खोदने का मुद्दा उठाया और जांच की मांग की। भाजपा पार्षद देवेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि शहर में बिछाई जा रही इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड कंपनी के पास नगर निगम की कोई स्वीकृति नहीं है। कुछ क्षेत्रों की मंजूरी के लिए बारह करोड़ रुपए की डिमांड निकली पड़ी है। कंपनी ने वह राशि भी नहीं दी है और यदि पूरे शहर का आकलन करें तो यह राशि सौ करोड़ से ज्यादा बैठेगी।

उन्होंने इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड प्रबंधन को घेरते हुए आसन से सवाल किया कि बिना स्वीकृति के सड़कें खोदकर पाइपलाइन कैसे डाली जा रही है। बैठक में कांग्रेस से पार्षद गजेंद्र सिंह रलावता ने मामले में तसवीर साफ करते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं अपने हस्ताक्षर से 20 नवंबर 2020 को कंपनी को पत्र लिखा था लेकिन 3 मार्च 2021 तक कंपनी के पास गैस पाइपलाइन डालने और सड़कें खोदने की अधिकृत मंजूरी नही है।