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महारानी पद्मिनी को कांच में नहीं दिखाया गया-जोशी


नामदेव न्यूज डॉट कॉम
भीलवाड़ा। महारानी पद्मिनी को किसी भी कांच वगैरह में नहीं दिखाया गया था। उस समय न तो कांच का इतना प्रचलन था, न ही पद्मिनी का यह महल उतना पुराना है। उक्त विचार भारतीय इतिहास संकलन समिति के प्रान्तीय कार्यकारिणी सदस्य लक्ष्मीनारायण जोशी ने भोई खेड़ा में आयोजित गोरा बादल स्मृति संगोष्ठी में व्यक्त किए।


उन्होंने कहा कि गोरा बादल कालीन युद्ध में बलिदानियों की अस्थियां प्रवाहित की गई थी, वह संगम स्थल ही था, तथा जहां इनका दाह संस्कार हुआ वह स्थल रूंढेश्वर महादेव है। उन्होंने रूंढेश्वर महादेव के साथ-साथ गोरा बादल देवरी स्थल के विकास पर भी जोर दिया। इस पर नगर परिषद सभापति सुशील शर्मा व नगर विकास न्यास के अध्यक्ष निर्मल काबरा द्वारा इस स्थल के विकास का आश्वासन दिया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा यज्ञ स्थल, गोरा एवं बादल देवरियों पर माल्यार्पण एवं पूजन किया गया। इस अवसर पर उप सभापति भरत जागेटिया, निर्मल देसाई, जयप्रकाश भटनागर, पार्षद शैलेन्द्र ङांवर, बाल किशन भोई, गोपाल जाट एवं स्थानीय ग्रामीण उपस्थित थे।