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राजस्थान में छठे दिन टूटी सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल, रेस्मा केवल दिखावा

जयपुर। सेवारत चिकित्सा संघ और रेजीडेन्ट एसोसिएशन की राज्य सरकार से वार्ता रविवार रात आखिरकार सफल हो गई। इसी के साथ छह दिन से मरीजों की जान पर मंडरा रहा संकट भी टल गया। करीब साढ़े आठ घण्टे चली वार्ता के बाद रात लगभग साढ़े ग्यारह बजे चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ और डॉक्टरों के बीच समझौता होने की घोषणा कर दी गई। इसके बाद डॉक्टरों ने काम पर लौटने का निर्णय लिया है।


छह दिन पहले सरकारी अस्पताल के सभी डॉक्टरों ने अपने सामूहिक इस्तीफे सरकार को भेजकर ड्यूटी का बहिष्कार कर दिया था। बाद में उनके समर्थन में रेजीडेन्ट भी हड़ताल पर चले गए थे। इस पर सरकार ने रेस्मा एक्ट लागू कर हड़ताल को गैरकानूनी घोषित कर दिया।
डॉक्टरों को झुकता नहीं देखकर सरकार ने तीन दिन पहले उन्हें गिरफ्तारी की चेतावनी दे दी। बाद में राज्यभर में डॉक्टरों की धर पकड़ की नौटँकी चली मगर सरकार एक दर्जन डॉक्टरों को भी गिरफ्तार नहीं करा सकी। पुलिस ने भी छापे मारने की औपचारिकता की।

इधर, सभी निजी अस्पतालों और रेलवे-सेना के डॉक्टरों की मदद से सरकार ज्यादा जनहानि रोकने में कामयाब रही तो उधर सेवारत डॉक्टरों पर लगातार दबाव भी रखा।

अंततः रविवार रात चिकित्सा मंत्री सराफ की मौजूदगी में वार्ता सफल हुई।
वार्ता में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त डी बी गुप्ता, प्रमुख शासन सचिव गृह दीपक उप्रेती, प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा वीनू गुप्ता , चिकित्सा शिक्षा सचिव आनंद कुमार , वित्त सचिव मंजू राजपाल सहित अन्य अधिकारीगण शामिल थे। चिकित्सा संघ की ओर से अध्यक्ष डॉ.अजय चौधरी, डॉ.जगदीश मोदी, डॉ. लक्ष्मण ओला, डॉ.नसरीन भारती, डॉ. मोहन लाल सिंधी शामिल थे।