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भारत में ई कचरा बना मुसीबत, रीसाइक्लिंग को लेकर नहीं गम्भीर

संयुक्त राष्ट्र। भारत में ई कचरा अब गम्भीर समस्या बन चुका है। संयुक्त राष्ट्र ने उचित सुरक्षा उपायों के बिना ई-कचरे की रीसाइक्लिंग के कारण भारत मे स्वास्थ्य और पर्यावरण को होने वाले गंभीर खतरों के प्रति चेतावनी जारी की है।

संगठन का कहना है कि भारत में ई-कचरे की रीसाइकिल प्रक्रिया में लगे करीब 10 लाख से अधिक लोगों में साक्षरता की दर काफी कम है। इसलिए वे इससे जुड़े खतरों से अनजान हैं।

बुधवार को जारी हुई रिपोर्ट ‘ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2017’ के अनुसार भारत में इलेक्ट्रॉनिक उद्योग सबसे तेजी से बढ़ रहा है। इसी के साथ ई-कचरा भी बढ़ रहा है। भारत में 2016 में दो मिट्रिक टन ई-कचरा पैदा हुआ। प्रति व्यक्ति के लिहाज से यह करीब 1.5 किलो है।

इंटरनेशनल टेलीकॉम्युनिकेशंस यूनियन, यूएन यूनिवर्सिटी और इंटरनेशनल ठोस कचरा प्रबंधन एसोसिएशन के सहयोग से बनी इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में ई-कचरा लगातार बढ़ रहा है लेकिन उसकी तुलना में बहुत कम रीसाइकिल हो रहा है। 2016 में दुनियाभर में 4.47 करोड़ टन यानी प्रति व्यक्ति 6.1 किलोग्राम ई-कचरा पैदा हुआ था। इसका केवल 20 फीसदी समुचित प्रक्रिया से रीसाइकिल हुआ। दुनिया में चीन सबसे अधिक ई-कचरा पैदा करता है। वहां 7.2 मीट्रिक टन ई-कचरा पैदा हुआ।

ई-कचरा को खुले में जलाने या डंपिंग साइट्स पर फेकने के गम्भीर परिणाम सामने आने लगे हैं।
जैसे अनुचित और असुरक्षित निपटान के तरीकों के कारण पैदा होते हैं। सस्ते सेल फोन और अन्य उपकरणों के उपलब्ध होने के कारण यह समस्या और गंभीर हो सकती है।