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छोडऩी होंगी कुरीतियां


एक व्यक्ति से परिवार और परिवार से समाज का निर्माण होता है। कार्य ऐसा करें कि समाज का नाम रोशन हो। एक दूसरे को मान-सम्मान देकर और आगे बढऩे के अवसर देकर ही नामदेव समाज का नाम रोशन कर सकते हैं।

कुरीतियां किसी भी समाज के विकास में बाधक होती हैं। अगर हमें लगता है कि हमारे समाज में एकाध कुरीति अभी भी प्रचलन में है तो उसे भी छोडऩे के सामूहिक प्रयास होने चाहिए।
-राजेन्द्र प्रसाद, बीकानेर