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नामदेव बंधुओं के लिए रोमांचक और यादगार रही पंढरपुर यात्रा

नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। खतरनाक पहाड़ी रास्ता…घना जंगल, दूर-दूर तक फैला कोहरा…फिसलन और बारिश के कारण दिन में भी छाया अंधेरा। इस माहौल के बीच अचानक बस बंद। तमाम विपरित हालातों के बावजूद मन में भगवान विट्ठल की दर्शन का उत्साह। इस बेमिसाल अनुभव के साक्षी बने मध्यप्रदेश के नामदेव समाजबंधु।


खरगोन मध्यप्रदेश से पंढरपुर यात्रा पर गया नामदेव समाजबंधुओं का दल दो दिन पहले सकुशल लौट आया है। यात्रा के अनुभव नामदेव न्यूज डॉट कॉम से साझा करते हुए यात्रा संयोजक संतोष मंडवाल ने बताया कि दल शुक्रवार रात 8 बजे पंढरपुर यात्रा पर बस के जरिए रवाना हुआ। यात्रा में जिला खरगोन के अलावा बड़वानी, धार, इंदौर व खंडवा के समाज बंधु भी शामिल हुए। महिला मंडल की सदस्यों में इतना उत्साह था कि उन्होंने ढोलक मंजीरे साथ ले लिए और भजनों की धुन के बीच सफर शुरू हुआ। 
समाज के नामदेव समाज नगर इकाई अध्यक्ष संतोष वर्मा ने बताया कि वरिष्ठ समाजजन संतोष मंडवाल के मार्गदर्शन में स्वजातीय भाई बहनों के दल ने बिजासनी माता, सृप्तशृंगी माता, त्रम्बकेशर ज्योर्तिलिंग, औझर अष्टविनायक, लेण्याद्री अष्ट विनायक, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, सिद्धटेक अष्टविनायक, पंढरपुर, शनि शिगनापुर, आदि स्थानों की यात्रा की।
यात्रा संयोजक मंडवाल ने बताया कि यात्रा का पहला पड़ाव बीजासनी माता मंदिर सेंधवा रहा। यहां महिला मंडल ने माता के शानदार भजनों की प्रस्तुति दी। अगली सुबह 7 बजे धने कोहरे में 18 किलोमीटर की बस यात्रा खतरनाक रास्तों से गुजरी। सात पहाड़ों के मध्य माता सप्तश्रंगी के दर्शन किए।

इसके बाद औझर अष्टविनायक के दर्शन किए। इसके बाद दल ने पहाड़ों पर गुफाओं के मध्य विराजित लेण्याद्री अष्ट विनायक के दर्शन किए। पर्यटन के उत्साह और धार्मिक उमंग के बीच सफर जारी रहा। भीमाशंकर के 40 किमी. लम्बे खतरनाक पहाड़ी रास्ते में घने जंगल में हल्की बारिश और घने कोहरे के बीच बस धीरे-धीरे रेंग रही थी। 8-10 फीट की दूरी पर भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। हैडलाइट की रोशनी में बस आगे बढ़ रही थी कि अचानक बस ने एअर ले ली। बस खराब।

 

सहयात्री महिलाएं चिन्तित। शाम के 4 बजे ही रात्रि जैसा अंधेरा छा गया। बीच रास्ते बस खराब होने से जाम भी लगने लगा। ऐसे में राजेन्द्र टेलर, गंगाधर सर आदि समाजबंधु जाम क्लीयर करवाने में जुटे। इसी बीच दो देवदूत मोटरसाइकिल से आए। उनसे लिफ्ट लेकर यात्रा संयोजक मंडवाल 2.5 किमी. दूर भीमाशंकर की ओर तथा अध्यक्ष संतोष वर्मा 5 किमी. दूर नीचे गांव की ओर डीजल लेने रवाना हुए। मंडवाल 2.5 किमी. दूर भीमाशंकर 1 घंटे में पहुंचे। बस मालिक जो कि 40 किमी नीचे भोजन व्यवस्था के लिए रुके थे, उन्हें बस खराब होने की जानकारी दी। 2 घंटे बाद वर्मा जी दूसरी बस लेकर भीमाशंकर आए।

रास्ते में सासवाड़ के विक्रांत डोंगरे टीम के साथ लगातार सम्पर्क कर इंतजार कर रहे थे। मगर बस खराब होने और यात्रा में व्यवधान आने से यह दल सासवाड़ नहीं रुक सका। यात्रा दल के सभी सदस्यों के मन में यह मलाल रहा कि वे सासवाड़ में साढ़े चार करोड़ की लागत से बन रहे भव्य नामदेव मंदिर के दर्शन नहीं कर पाए। यहां से यात्रा दल सीधे पंढरपुर पहुंचा। सासवाड़ से विक्रांत डोंगरे भी वहां पहुंच गए।


विट्ठल भगवान की नगरी में धन्य
पंढरपुर पहुंचे यात्रा दल ने चन्द्रभागा नदी में स्नान किया। इसके बाद प्रसिद्ध विट्ठल मंदिर के दर्शन किए। मंदिर में राजेन्द्र वर्मा ने विठ्ठल विठ्ठलाय नम: भजन गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। दल सदस्य नामदेव धाम पहुंचे। वहां लकडिय़ों से निर्मित प्राचीन भव्य भवन देखकर सभी गद्गद् हो गए।
संत नामदेव के वंशज के दर्शन किए
पंढरपुर में नामदेव समाजबंधुओं ने संत शिरोमणी नामदेवजी की 16वीं पीढ़ी के कृष्णदास महाराज के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। गठोरिया मैडम, श्रीमती बबीता टेलर, श्रीमती साधना टेलर आदि के भजनों पर नामदेव धाम में मौजूद सभी लोग झूमने लगे। अन्य जगहों से आए श्रद्धालुओं व स्थानीय लोगों के दर्जनों कैमरों के फ्लैश चमकने लगे। वे भजन-कीर्तन और उन पर झूमते श्रद्धालुओं को कैमरे में कैद करने लगे। सफर का अगला पड़ाव शनि शिगनापुर मंदिर था। इसके बाद शिरडी, ज्योतिर्लिंग ध्रष्णेश्वर आदि तीर्थस्थलों के दर्शन करते हुए यात्रा दल अपने मुकाम पर लौटा।
सफर का रोमांच और अविस्मरणीय अनुभव देखते हुए समाजबंधुओं ने जल्द ही अगली यात्रा का कार्यक्रम बनाने की इच्छा जताई। यात्रा में ओमप्रकाश नामदेव, दशरथ नामदेव, पीरा जी, महेन्द्र टेलर आदि का भी खासा सहयोग रहा।

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