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शारदीय नवरात्र पर इस बार बने हैं छह विशेष योग, व्रत नियम जानिए

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आदिशक्ति माता दुर्गा की आराधना को समर्पित शारदीय नवरात्रि इस बार पूरे 9 दिन चलेंगे। पहले दिन यानी 29 सितंबर को विधि विधान से घट या कलश स्थापना के बाद से नवरात्रि के व्रत प्रारंभ होंगे। इन 9 दिनों में माता के 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी।

इस बार दशहरा या विजयदशमी 8 अक्टूबर को है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है। इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।

मान्यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। यह पर्व बताता है कि झूठ कितना भी बड़ा और पाप कितना भी ताकतवर क्यों न हो अंत में जीत सच्चाई और धर्म की ही होती है।

इस बार बने हैं ये विशेष योग

30 सितंबर को अमृत सिद्धि योग रहेगा। 1 अक्टूबर को रवि योग, 2 तारीख को अमृत, सिद्धि, & को सर्वार्थ सिद्धि, 4 को रवि योग, 5 को रवि योग, 6 को सर्वसिद्धि योग रहेगा।

7 अक्टूबर को दशहरे पर रवियोग

7 अक्टूबर को महानवमी दोपहर 12.&8 तक रहेगी। उसके बाद विजयदशमी (दशहरा) लग जाएगी। विजयादशमी रहेगी 8 अक्टूबर को दोपहर 2.51 तक रहेगी। विजया दशमी के दिन भी रवि योग रहेगा, इस दिन शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है।

किस दिन कौन सी देवी की पूजा

पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यानी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

सालभर में चार बार आती है नवरात्रि

एक साल चार बार नवरात्रि आती है। दो गुप्त होती हैं और दो प्रकट नवरात्रि होती हैं। माघ मास और आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि आती है। चैत्र मास और आश्विन मास में प्रकट नवरात्रि रहती है। शारदीय नवरात्रि यानी आश्विन मास में आने वाली नवरात्रि का महत्व गृहस्थ साधकों के लिए काफी अधिक होता है। काफी लोग देवी मां की प्रतिमा अपने घर में विराजित करते हैं और नवरात्रि में रोज सुबह-शाम विशेष पूजा करते हैं।

कलश स्थापना

नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है। कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है। नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है। घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है। मान्यता है कि गलत समय में घट स्थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं। रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित करने की मनाही है। घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है। अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं। प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है। हालांकि इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।

कलश स्थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त

कलश स्थापना की तिथि- 29 सितंबर 2019
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त- 29 सितंबर 2019 को सुबह 06 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक।
कुल अवधि- 1 घंटा 24 मिनट।

कलश स्थापना की सामग्री

मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें। इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और शृंगार पिटारी भी चाहिए।

नवरात्रि व्रत के नियम

अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने के इच्छुक हैं तो इन नियमों का पालन करना चाहिए।
– नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्प लें।
– पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें।
– दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं।
– शाम के समय मां की आरती उतारें।
– सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें।
– फिर भोजन ग्रहण करें।
– हो सके तो इस दौरान अन्न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें।
– अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएं, उन्हें उपहार और दक्षिणा दें।
– अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें।

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