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श्रीकृष्ण के मुकुट जैसा है जयपुर का हवामहल, जानिए और भी खासियतें

जयपुर।  राजस्थान में हर किले और महल के वास्तुकला की अपनी ही एक अलग पहचान और शान है। इन्हीं शानों में से एक है यहाँ का हवा महल ! राजस्थान की पिंक सिटी बीचों बीच बना हवा महल अपनी सुंदरता और अनोखी डिजाइन के कारण सबको आकर्षित करता है। महल का निर्माण लाल-गुलाबी बलुई पत्थर से किया गया था और इसकी रचना में मुग़लों और राजस्थानी शैलियों की वास्तुकला साफ़ झलकती है।

हवामहल का मतलब है कि हवाओं की एक जगह। यानी कि यह एक ऐसी अनोखी जगह है, जो पूरी तरह से ठंडा रहता है। हवामहल को साल 1799 में महाराज सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था। इस पांच मंजिला इमारत को बहुत ही अनोखे ढंग से बनाया गया है।

हवा महल, सर के ताज के आकर में बना हुआ है। श्रीकृष्ण के सर के ताज की तरह प्रतीत होता है। कहा जाता है कि सवाई प्रताप सिंह भगवान श्री कृष्ण के प्रति अत्यंत श्रद्धा भक्ति भाव रखते थे, जिसकी वजह से उनहोंने इस महल को उनके ताज का आकर दिया।

यह ऊपर से तो केवल डेढ़ फुट चौड़ी है और बाहर से देखने में किसी मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखती है। इस हवामहल में 953 छोटी खिड़कियां हैं जिससे ठंडी और ताजी हवा आती रहती है। जिसके कारण यह जगह बिल्कुल ठंडी रहती है।

हवा महल की सबसे पहली मरम्मत इसके बनने के 50 साल बाद यानी 2006 में हुई. इस महल की कीमत फिलहाल 4568 मिलियन रूपयों के आसपास है। पहले जयपुर के कॉरपोरेट सेक्टर्स ने इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ली लेकिन बाद में भारत के यूनिट ट्रस्ट ने ये जिम्मेदारी संभाल ली। आपको जानकर हैरानी होगी जब हवा महल पॉपुलर हुआ इसके बाद ही इसके कॉम्पलेक्स को विकसित किया गया।

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