Breaking News
Home / breaking / ऋषि पंचमी पर सप्त ऋषियों को प्रणाम, काया पर ज्ञान के बन्धन का रक्षा सूत्र

ऋषि पंचमी पर सप्त ऋषियों को प्रणाम, काया पर ज्ञान के बन्धन का रक्षा सूत्र

 

 न्यूज नजर : प्राणी की देह काया कहलाती है और प्राण रूपी वायु इसे कंचन की तरह चमकाती रहती है। यह कंचन रूपी काया कब तक चमकती रहेगी इस बात का भान प्राणी को नहीं होता है।

भंवरलाल
ज्योतिषाचार्य एवं संस्थापक,
जोगणिया धाम पुष्कर

कंचन रूपी काया का कोई भरोसा नहीं है कि कब इसकी चमक प्राण वायु खत्म कर दे। इस कारण इसकी चमक बनाये रखने के लिए इसे ज्ञान के रक्षा सूत्र से बांधना परम आवश्यक है।
बिना ज्ञान के काया मन से श्रृंगारित होकर अपने जीवन की यात्रा को केवल सुखों के सागर में गोते लगवाती हैं यह जानते हुए कि इस जगत में अंतिम सत्य केवल मृत्यु ही है अतः जैसे भी हो उसी तरह सुखो का भोग कर ले। बस इसी धारणा के तहत काया ज्ञान के रक्षा सूत्र नहीं बांधती है और ज्ञान केवल उनकी परिभाषा मे सुखो के उपभोग का ही रह जाता है।

ज्ञान के रक्षा सूत्र त्याग तपस्या शोध अनुसंधान के आधार पर जमीनी हकीकत से ही मिलते हैं और हर दिन एक नयें ज्ञान की प्रकाश रश्मि रोज़ इसे नूतन रखती हैं। ज्ञान के रक्षा सूत्र काया को मन के श्रृंगार से हटा उस ओर ले कर जाते हैं जहां काया अपनी विशालता का प्रतिबिम्ब देखतीं हैं और असंख्य काया को सुखी और समृद्ध बना खुद भी सुखी और समृद्ध दिखाई देती हैं। काया की ये विशालता ही सभ्यता और संस्कृति का निर्माण कर उसे अभोतिक व भौतिक मूल्यो का ज्ञान देती है।

सत्य की खोज करता मानव जब ज्ञान की रहस्यमयी दुनिया की उन गहराइयों में चला जाता है तो वह एकांत का सहारा ले मनन ओर चिंतन मे डूब जाता है और दुनिया से दूर वन उपवन में जाकर ज्ञान का ॠषि बन जाता है तथा अपने ज्ञान के रक्षा सूत्र तैयार करता है।इन रक्षा सूत्रों से काया मे निखार आता है और वो सुखो के सागर से निकल कर ज्ञान के सागर में गोते लगाती हैं।
ऋषियों की यही स्थिति फिर हर मानवी काया को आकर्षित करती है और काया ऋषियों का अभिनंदन कर उन्हें अपनी रक्षा के लिए सूत्र बांधती है ओर ऋषि अपने ज्ञान के बन्धन से उनकी कायो का बांध सुखी और समृद्ध बनाने के मार्ग प्रशस्त करती हैं। ऋषियों को बांधे यह रक्षा सूत्र पंच तत्वो की काया की पंचमी बन पूर्ण हो जातीं हैं।
भाद्रपद मास की शुक्ल पंचमी को ऋषियो का पूजन किया जाता है।
सात ऋषि —
कश्यप,अत्रि,भारद्वाज,    विश्वामित्र ,गोतम,जमदग्नि ओर वशिष्ठ।
बिना जोते बोये उत्पन्न हुए
श्यामाक (सांवा के चावल)आदि से नैवेधअर्पण करके पूजन करें।ऋषि पंचमी को राखी भी मनाई जाती है ।
संतजन कहतें है कि हे मानव शरीर रूपी काया की रक्षा तो हर कोई कैसे भी कर सकता है मगर काया जब तक ज्ञान के बन्धन से नहीं बंधेगी तो वो नैतिक मूल्यों को नही सीख पायेंगी ओर ना ही समाज व रिश्तो को खूबसूरत बना पायेगी ओर ना ही हम की भावना उसमे उत्पन्न होंगी और वो एकाकी बन मन के ऋंगार से अंहकारी बन जायेगी।
इसलिए हे मानव इस कंचन रूपी काया का कोई भरोसा नहीं है यह कभी भी तुझे छोड़ कर चली जायेगी इसलिए ज्ञान के लिए राखी या रक्षा सूत्र बांध ओर इस पंच तत्व की काया को संस्कारित करने के आशीर्वाद इन ऋषि रूपी रिश्तो से ले जो तेरी काया को हर ज्ञान से समृद्ध बनायेगे ओर तू कल्याण रूपी मार्ग पर बढ़ जायेगा।

 

यह भी पढ़ें

ऋषि पंचमी : महिलाओं-कन्याओं के लिए खास है आज का दिन

Check Also

सास ने बहू से पूछा- सुहागरात पर मिलन हुआ कि नहीं ?

बाराबंकी। दहेज में छोटी-छोटी चीजों के लिए बहू को ताने मारने वाली सास के किस्से तो …