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सावधान, आज भूलकर भी न तोड़े तुलसी, जानिए सभी तिथियों और उनके देवताओं के बारे में

हमारा कालचक्र तिथियों पर आधारित है। शास्त्रों में तिथि को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जिस तिथि के जो देवता बताये गये हैं, उन देवताओं की पूजा उपासना उसी तिथि में करने से सभी देवता उपासक से प्रसन्न हो उसकी अभिलाषा को पूर्ण करते हैं।

प्रतिपदा : इसे प्रथम तिथि भी कहा गया है, इस तिथि के स्वामी अग्नि देव हैं। इनकी उपासना से घर में धन-धान्य, आयु, यश, बल, मेधा आदि की वृद्धि होती है।

द्वितीया : इस तिथि के स्वामी ब्रह्मा जी हैं। इस दिन किसी ब्रह्मचारी ब्राह्मण की पूजा करना एवं उन्हें भोजन, अन्न वस्त्र का दान देना श्रेयस्कर होता है।

तृतीया : इस तिथि में गौरी जी की पूजा करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है। कुबेर जी भी तृतीया के स्वामी माने गये हैं। अतः इनकी भी पूजा करने से धन-धान्य, समृद्धि प्राप्त होती है।

चतुर्थी : इस तिथि के स्वामी श्री गणेश जी हैं जिन्हें प्रथम पूज्य भी कहा जाता है। इनके स्मरण से सारे विघ्न दूर हो जाते हैं। पंचमी: इस तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। इस दिन नाग की पूजा से भय तथा कालसर्प योग शमन होता है।

षष्ठी : इस तिथि के स्वामी स्कंद अर्थात् कार्तिकेय हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति मेधावी, सम्पन्न एवं कीर्तिवान होता है। अल्पबुद्धि एवं हकलाने वाले बच्चे के लिए कार्तिकेय की पूजा करना श्रेयस्कर होता है। जिनकी मंगल की दशा हो या कोई कोर्ट केस में फंसा हो उसके लिए कार्तिकेय की पूजा श्रेष्ठ फलदायी है।

सप्तमी : इस तिथि के स्वामी सूर्य हैं। सूर्य आरोग्यकारक माने गये हैं साथ ही जगत के रक्षक भी। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य एवं आरोग्यता हेतु विशेषकर जिसे आंखों की समस्या हो उसके लिए इस दिन चाक्षुषी विद्या का पाठ करना माना गया है।

अष्टमी : इस दिन के स्वामी रुद्र हैं। अतः इस तिथि में वृषभ से सुशोभित भगवान सदाशिव का पूजन करने से सारे कष्ट एवं रोग दूर होते हैं।

नवमी : इस तिथि के दिन दुर्गा जी की पूजा करने से यश में वृद्धि होती है। साथ ही किसी प्रकार की ऊपरी बाधा एवं शत्रु नाश के लिए आज के दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।

दशमी : इस तिथि के देवता यमराज हैं। इस दिन इनकी पूजा करने से ये सभी बाधाओं को दूर करते हैं एवं मनुष्य का नरक तथा अकाल मृत्यु से उद्धार करते हैं।

एकादशी : इस तिथि के देवता विश्वेदेवा हैं। इनकी पूजा करने से वो भक्तों को धन धान्य एवं भूमि प्रदान करते हैं।

द्वादशी : इस तिथि के स्वामी श्री हरि विष्णु जी हैं। इनकी पूजा करने से मनुष्य समस्त सुखों को भोगता है, साथ ही सभी जगह पूज्य एवं आदर का पात्र बनता है। इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना होता है। परंतु इस दिन तुलसी तोड़ना निषिद्ध है।

त्रयोदशी : इस तिथि के स्वामी कामदेव हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति रूपवान होता है एवं उम व सुंदर पत्नी प्राप्त करता है। साथ ही वैवाहिक सुख भी पूर्णरूप से मिलता है।

चतुर्दशी : इसके स्वामी भगवान शिव हैं। अतः प्रत्येक मास की चतुर्दशी विशेषकर कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव जी की पूजा, अर्चना एवं रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव मनोकामना पूर्ण करते हैं एवं समस्त ऐश्वर्य एवं सम्प प्रदान करते हैं।

पूर्णिमा : इस तिथि के देवता चंद्र हैं। इनकी पूजा करने से मनुष्य का समस्त संसार पर आधिपत्य होता है। विशेषकर जिनकी चंद्र की दशा चल रही हो उनके लिए पूर्णिमा का व्रत रखना एवं चंद्र को अघ्र्य देना सुख में वृद्धि करता है। जिनके बच्चे अक्सर सर्दी जुकाम, निमोनिया आदि रोगों से ग्रसित हों उनकी मां को एक वर्ष तक पूर्णिमा का व्रत रखना चाहिए तथा चंद्र को अघ्र्य देकर अपना व्रत करना चाहिए।

अमावस्या : इस तिथि पर पितरों का आधिपत्य है। अतः इस दिन अपने पितरों की शांति हेतु अन्न वस्त्र का दान देना एवं श्राद्ध करना श्रेयस्कर है। इससे प्रसन्न हो पितर देवता अपने कुल की वृद्धि हेतु संतान एवं धन समृद्धि देते हैं।

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