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ग्लेशियर हादसा : कांस्टेबल का शव 10 किलोमीटर बहकर पैतृक गांव पहुंचा

चमोली। उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटकर गिरने से अचानक आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। यहां चल रहे कई पावर प्रोजेक्ट्स को भारी नुकसान पहुंचा है। इसके साथ ही इन प्रोजेक्ट्स की जगहों पर काम कर रहे 34 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 170 से ज्यादा लोग लापता हैं। इस बीच एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है।

ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट साइट पर तैनात पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल मनोज चौधरी (42) रविवार को बाढ़ आने के बाद से ही लापता थे। अगले दिन उनका शव घटनास्थल से 110 किमी दूर एक घाट पर मिला, जो कि उनके पैतृक गांव में ही है।

पुलिस ने आशंका जताई कि पुलिस कॉन्स्टेबल का शव भारी बहाव की वजह से कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडार नदी के संगम तक बहकर आ गया। मनोज के बड़े भाई अनिल चौधरी ने इस घटना पर कहा, “इत्तेफाक है। मगर ये तो ऊपर वाले की कृपा रही कि उनका शव अपने पूर्वजों के घाट पर पहुंच कर रुक गया।” अनिल ने बताया कि यह घाट उनके पैतृक गांव कनौदी से काफी करीब है और उनके सभी पूर्वजों का अंतिम संस्कार यहीं किया गया है।
राजकीय सम्मान के साथ मनोज का अंतिम संस्कार किया। बताया गया है कि मनोज ने 20 साल पहले यूपी पुलिस जॉइन की थी। हालांकि, उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में ही सेवा देने का फैसला किया। इस साल मध्य जनवरी तक वे गोपेश्वर में पुलिस लाइन में तैनात थे। ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट में उनकी ड्यूटी हादसे से सिर्फ 15 दिन पहले ही लगी थी।

मनोज के बड़े भाई ने कहा, “हमें पुलिस का फोन आया कि ऋषि गंगा प्रोजेक्ट साइट से मनोज और एक अन्य पुलिसकर्मी लापता हैं। जब मैं घटनास्थल पर पहुंचा, तो उनके साथी ने बताया कि शव पानी की धार में बह गए हैं। इसके बाद मैं घर लौट आया। जब मुझे कर्णप्रयाग में मिले चार शवों की फोटो दिखी, तो उनमें एक मनोज का शव भी था।” अनिल के मुताबिक, वे उम्मीद करते हैं कि मनोज की पत्नी सीमा को सरकारी नौकरी मिल जाए।

देहरादून के रहने वाले कॉन्स्टेबल सुरेश भंडारी के मुताबिक, जिस दिन हादसा हुआ, वे मनोज और दो अन्य कॉन्स्टेबल- बलबीर सिंह गारिया (58) और कॉन्स्टेबल दीपराज के साथ ड्यूटी पर थे। उन्होंने बताया कि दीपराज और वे ऋषि गंगा साइट के मेन गेट पर ड्यूटी कर रहे थे, जबकि मनोज और बलबीर दूसरे कमरे में थे। भंडारी ने बताया कि इसी दौरान उन्होंने रैनी गांव से एक सीटी की आवाज सुनी और कुछ ही पलों में धूल का गुबार उनके सामने था। दीपराज और भंडारी ने इसके बाद सड़क की तरफ भागना शुरू किया। उन्होंने बलबीर और मनोज को भी आवाज लगाई, पर वे शायद फंस चुके थे।

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