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साइबर अटैक भी कर सकता है चीन, भारत को रहना होगा सावधान

 

 

नई दिल्ली। लद्दाख में भारत के साथ सीमा विवाद में उलझा चीन इस कदर बौखलाया है कि वह किसी भी हद तक जा सकता है। गालवन घाटी में इस बार भारतीय और चीनी सैनिकों की हुई झड़प के बाद चीन कहीं न कहीं अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर अपने आप को पिटा सा महसूस करने लगा है। भारत के साथ बार-बार युद्ध जैसे हालात पैदा करने पर चीन की ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ताइवान, तिब्बत समेत कई देशों ने आलोचना भी की है। शोध और प्रतिशोध की आग में जल रहे चीन अब भारत पर साइबर अटैक भी कर सकता है ? ऐसा नहीं है भारत चीन की इस हरकत से वाकिफ न हों, गृह मंत्रालय चीन के इस हथकंडे पर पूरी नजर बनाए हुए है।

यही नहीं साइबर इंटेलिजेंस फार्म साइफर्मा ने तो भारत को बाकायदा पिछले दिनों चेतावनी भी जारी कर दी है। साइफर्मा ने बताया कि इन हैकिंग ग्रुप का चीन की सरकार और सेना से संबंध है। साइफर्मा के मुताबिक चीनी हैकर देश की कई सरकारी एजेंसियों, मीडिया हाउस, फार्मा कंपनियों, टेलीकॉम ऑपरेटरों और भारत की एक बड़ी टायर कंपनी को निशाना बना सकते हैं। साइफार्मा ने बताया कि यह जानकारी डार्क वेब से आई है, डार्क वेब यानी जहां पर हैकर कम्युनिटी गुमनाम रहकर बात करती हैं।

 

कुछ दिन पहले चीनी हैकरों ने डार्क वेब पर चीनी भाषा मंदारिन और कंटोनीस में बात करते हुए भारत को सबक सिखाने की बात कही है। डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस तकनीक का इस्तेमाल हैकर की तरफ से बड़े पैमाने पर किए जाते हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल से किसी सर्वर पर काफी संख्या में ट्रैफिक भेजा जाता है, जिसकी वजह से सर्वर पर लोड बढ़ जाने से लोग उस खास वेबसाइट को खोल नहीं पाते हैं, यानि सर्वर डाउन हो जाता है। चीन के हैकर इसी का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब भारत सरकार को चीनी हैकरों को लेकर बहुत सावधान रहना होगा।

ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग में हुए साइबर हमले पर चीन था शक के दायरे में

ऑस्ट्रेलिया और चीन के संबंध पिछले काफी समय से चले आ रहे हैं चीन और ऑस्ट्रेलिया को अमेरिका का पिछलग्गू बताता रहा है।‌ ऐसे ही पिछले वर्ष हांगकांग में चीन की दमनकारी नीतियों लेकर कई महीनों तक हिंसा और विरोध प्रदर्शन हुए थे। साइफार्मा ने बताया है कि अमेरिका और हांगकांग में भी बड़े पैमाने पर साइबर अटैक करते रहे हैं। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के सरकारी और निजी क्षेत्र पर बड़ा साइबर अटैक हुआ है, इसके पीछे भी चीन पर भी शक जताया जा रहा है।

चीन पर शक इसलिए भी है क्योंकि लंबे समय से उसके ऑस्ट्रेलिया से संबंध ठीक नहीं हैं। आपको बता दें कि चीनी हैकरों का सीधा संबंध चीन की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी से है। यह हैकर चीन की सरकार के लिए भी काम करते हैं। चीन के सिचुवान प्रांत में हैकरों का गढ़ माना जाता है। यहीं से यह दुनिया के तमाम देशों में सेंध लगाते रहते हैं। यही नहीं चीनी सेना और सरकार इनको शह भी देती रही है। वैसे अभी तक भारत में पाकिस्तान, अमेरिका, यूरोप के देशों के हैकर्स ने भारत में साइबर हमले किए हैं। इसी तर्ज पर अब चीन भारत पर साइबर हमले करने की सोच रहा है, लेकिन अभी तक उसको सफलता नहीं मिली है।‌

इंटरनेट से हैकरों के पास बहुत से रास्ते हैं डाटा चोरी करने के

देश और दुनिया में जब से इंटरनेट का युग शुरू हुआ है तभी से यह हैकर्स निशाना बनाने लगे हैं। इन दिनों हमारे सभी महत्वपूर्ण ट्रांजेक्शन इंटरनेट पर हो रहे हैं। दुनिया भर में बढ़ती कनेक्टिविटी जहां हमारे जीवन को बहुत आसान बना रही है, वहीं इसके खतरे भी बढ़ गए हैं कि हमारी व्यक्तिगत जानकारी को कोई हैकर चुरा न ले। हैकर्स के पास अब बहुत रास्ते हैं जिससे वह हमारी जानकारी चुराकर उनका दुरुपयोग कर सकता है। हम बात करेंगे फिशिंग, दरअसल यह एक फ्रॉड इमेल है, जिसकी मदद से आपसे आंकड़े मंगाए जाते हैं। यह देखने में असली जैसा ही लगता है।

हैकर फिशिंग ईमेल के जरिये आपको यह भरोसा दिलाने की कोशिश करता है कि वह आपके फायदे के लिए बैंक एकाउंट की जानकारी या अन्य आंकड़े मंगा रहा है। मसलन आपके बैंक की तरफ से एक ईमेल आता है जिसमें कहा जाता है कि आपका डेबिट कार्ड रद हो गया है और कार्ड नंबर या आधार नंबर बताने पर ही आपको नया कार्ड जारी किया जाएगा। आपको लग सकता है कि बैंक ने ही यह जानकारी आपसे मांगी है, लेकिन यह हैकर हो सकता है।‌ फिशिंग ईमेल में एक लिंक होता है जिस पर आपको क्लिक कर नकली वेब पेज पर ले जाया जाता है।

अगर आप उनके झांसे में आ गए तो आप वहां अपने एकाउंट की जानकारी दर्ज कर देते हैं और यह हैकर के सर्वर में चला जाता है। इसके बाद हैकर इन जानकारियों का इस्तेमाल कर आपके बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड से रकम उड़ा सकता है। ऐसे ही गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर पर मौजूद सभी एप सुरक्षित नहीं होते। एक तो ये एप आपसे मोबाइल के सभी डेटा तक पहुंच की परमिशन मांगते हैं जिससे हैकर आपकी सारी जानकारी चुरा सकता है और दूसरे मैसेज मीडिया फाइल तक पहुंच होने से यह आपकी गोपनीय जानकारी भी सार्वजानिक कर सकता है। यूजर को इंटरनेट के इस्तेमाल करने में बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए।

किसी को अपनी निजी जानकारी न दें और रहें सावधान

फोन काल पर अपनी गोपनीय जानकारी किसी को न दें। किसी मैसेज पर आए लिंक पर क्लिक करने से पहले उसे अच्छी तरह चेक करें। आपका लैपटॉप, हर डिस्क या मोबाइल लेकर उससे गोपनीय जानकारी चुरा लेना दरअसल इस तरह के खतरे में आता है। यह चोरी किए डिवाइस से आंकड़े निकालकर उसका इस्तेमाल रह सकता है। यह आपके घर या दफ्तर कहीं भी हो सकता है।‌ अटैक करने वाला आपसे ऑनलाइन पासवर्ड से लेकर बैंक एकाउंट डीटेल तक भी मांग सकता है। एक बार आंकड़े मिल जाने के बाद वह कई तरह से आपकी जानकारी का यूज कर सकता है। यही नहीं पब्लिक वाई-फाई यूज करने वाले ग्राहक की व्यक्तिगत जानकारी हैकर आसानी से चुरा सकते हैं।

जिन जानकारी को हैकर चुराने का प्रयास करते हैं उनमें क्रेडिट कार्ड की डीटेल्स, पासवर्ड, चैट मैसेज, ईमेल आईडी, पैन नंबर, आधार नंबर सहित अन्य जानकारी शामिल हैं। अपनी जानकारी सुरक्षित रखने के लिए आप इन जगहों से शॉपिंग या नेट बैंकिंग जैसी एक्टिविटी बिलकुल न करें। इस प्रकार रहे सावधान। अपनी जानकारी संभालकर रखें। अगर कंप्यूटर-स्मार्टफोन में इस तरह की जानकारी है तो उसे पासवर्ड या पैटर्न से सुरक्षित करें। पासवर्ड लिखकर रखने की आदत न डालें। सिस्टम को शट डाउन करने या बैंकिंग साइट से लॉग आउट करने के बाद ही बाहर आएं। ओपन इंटरनेट नेटवर्क से वित्तीय ट्रांजेक्शन बिलकुल न करें। घर के वाई-फाई को सिक्योर बनाएं और पासवर्ड कठिन रखें, आपकी सुरक्षा अपने हाथ में है, सावधान रहें और हर समय चौकसी बरतें।

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